विभिन्न धर्मों से संबंध रखने वाले सैकड़ों भारतीय अमरीकियों ने अमरीका के कई बड़े शहरों में भारतीय कांसुलेट के सामने दिल्ली में हुए हालिया दंगों के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों का आयोजन किया और इन दंगों के प्रति मोदी सरकार की उदासीनता की कड़ी निंदा की।
विदेश – सोमवार को दिल्ली में भयानक दंगे भड़क उठे थे और तीन दिन तक भगवा चरमपंथियों ने मौत और हत्याओं का खेल खेला था तथा बड़े पैमाने पर मुसलमानों के घरों, दुकानों और मस्जिदों को आग के हवाले कर दिया था।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा ने नागरिकता के नए क़ानून सीएए के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण रूप से धरने पर बैठे लोगों को धमकी दी थी, जिसके बाद कट्टरपंथी हिंदुओं की भीड़ ने धरने पर बैठे लोगों पर हमला कर दिया था।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दिसम्बर 2019 में नागरिकता संशोधन क़ानून सीएए पारित किया था। मोदी सरकार का दावा है कि भारत के तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों ख़ासकर हिंदुओं पर अत्याचार किए जाते हैं, जिन्हें भारत की नागरिकता देने के लिए यह क़ानून पारित किया गया है।
सीएए विरोधियों का मानना है कि यह क़ानून भारतीय संविधान के ख़िलाफ़ है, इसलिए कि यह धर्म के नाम पर मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है, जिन्हें पीड़ित होने के बावजूद नागरिकता देने से वंचित रखा गया है।
पिछले क़रीब 50 दिनों से भारत भर में इस क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन जारी है, जिसकी अगुवाई मुस्लिम महिलाएं कर रही हैं।
मोदी सरकार के नागरिकता के क़ानून की तुलना अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के मुसलमानों पर लगाए गए प्रतिबंध से की जा रही है, क्योंकि दोनों ने ही मुसलमानों को नागरिकता देने के मार्ग को बंद कर दिया है।
स्थानीय समय के अनुसार, शुक्रवार को न्यूयॉर्क में भारतीय कांसुलेट के सामने बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए और उन्होंने गुजरात 2002 दंगों की तरह दिल्ली में भी दंगाईयों को खुली छूट दिए जाने और पुलिस के तमाशाई बने रहने की कड़ी निंदा की।
प्रदर्शन में शामिल इशिता श्रीवास्तव का कहना थाः “मैं एक धर्मनिरपेक्ष भारत का सुखद विचार लेकर बड़ी हुई हूं, लेकिन मोदी के नेतृत्व में हर चीज़ को तबाह होते हुए देख रही हूं।”
प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि मोदी सरकार फासीवादी विचारधारा का अनुसरण करते हुए दलितों और मुसलमानों को निशाना बना रही है।
ग़ौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी, फासीवाद और नाज़ीवाद से प्रेरित हिंदू अर्धसैनिक वर्चस्ववादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की राजनीतिक शाख़ा है, जो भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के बजाए हिंदू राष्ट्र मानता है।
साभार पी.टी.