अमेरिका की बास्केटबॉल स्टार ब्रिटनी ग्रिनर को रूस की कैद से छुड़ाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जो सौदेबाजी की, उसको लेकर ह्वाइट हाउस में गहरी बेचैनी है। जानकारों ने इसे कैदियों की एक बेहद असमान अदला-बदली माना है। अमेरिकी मीडिया के कवरेज में इस अदला-बदली को निर्विवाद रूप से रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की जीत बताया गया है। अमेरिका ने ग्रिनर को छुड़ाने के हथियारों डीलर विक्टर बाउट को रिहा कर दिया। जबकि इन दोनों पर एक दूसरे के यहां अलग-अलग किस्म के आरोप लगाए गए थे।
ग्रिनर को रूस में नशीली दवा (कैनेबिस) रखने के आरोप में सजा सुनाई गई थी। जबकि बाउट को पिछले कई दशकों में पकड़ा गया सबसे बड़ा हथियार डीलर बताया जाता है। बाउट पर आरोप है कि उसने अफ्रीका और कुछ दूसरे महाद्वीपों में हथियारों की तस्करी की। एक अमेरिकी अदालत ने बाउट को अमेरिकी नागरिकों की हत्या की साजिश रचने के आरोप में भी सजा सुनाई थी।
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका में ग्रिनर की लोकप्रियता के कारण राष्ट्रपति जो बाइडन उन्हें रूसी हिरासत से छुड़ाने के लिए मजबूर हो गए। जनमत के दबाव में उन्होंने क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति कार्यालय) से बातचीत शुरू की। ये वार्ता उन्हें उस समय करनी पड़ी, जब रूस और अमेरिका के संबंध अपने सबसे खराब दौर में हैँ। इस माहौल के बीच समझौता करने की मजबूरी बाइडेन के लिए एक तरह से अपमान का घूंट पीने जैसी मानी गई है।
अमेरिकी मीडिया में इस सवाल पर कयास लगाए गए हैं कि आखिर बाउट की रूस में उतनी अहमियत क्यों है। बाउट पर संयुक्त राष्ट्र की जांच में भी गंभीर आरोप लगाए गए थे। कई अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी उसे छोटे से लेकर बड़े हथियारों की तस्करी का दोषी ठहराया है। बताया जाता है कि वह इस धंधे में 1990 के दशक से है और एक बार उस पर आतंकवादी संगठन अल-कायदा को हथियार को हथियार सप्लाई करने के इल्जाम भी लगे थे। बाउट कितना चर्चित रहा है, इसका अंदाजा इससे ही लग जाता है कि हॉलीवुड के फिल्म निर्माता निकोलस केज ने उसकी कहानी को केंद्र में रख कर ‘लॉर्ड ऑफ वॉर’ नाम की फिल्म बनाई थी।
टीवी चैनल सीएनएन की वेबसाइट पर छपे एक विश्लेषण में कहा गया है- ‘बड़ी हैरत की बात यह है कि जिस समय रूस का यूक्रेन पर क्रूर हमला जारी है, तब कैदियों की ये अदला-बदली की गई। इससे दो बातें जाहिर हुई हैं- पहली यह कि जब रूसी बमबारी से यूक्रेन के नागरिकों की जान जा रही है और अमेरिका यूक्रेन को हथियार मुहैया करा रहा है, उसके बीच भी अमेरिका और रूस अपने फायदे का सौदा करने की स्थिति में बने हुए हैं। दूसरी बात यह साफ हुई है कि अपने करीबी लोगों के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन अपने राष्ट्रीय अभिमान का सौदा करने को तैयार हैं।’
लेकिन कुछ दूसरी टिप्पणियों में कहा गया है कि बाइडन प्रशासन भी रूस विरोधी अपने तमाम अभियान के बावजूद पुतिन के दबाव में आ गया और एक बदनाम अपराधी को रिहा करने की हद तक चला गया। इससे अमेरिका के लिए असहज स्थिति बनी है।