अमेरिका में आजकल भारतीयों को निशाना बनाया जा रहा है। भारतीय छात्रों की मौत को लेकर चिंताओं के बीच समुदाय के एक प्रमुख नेता ने दावा किया है कि उनका संगठन प्रतिदिन कम से कम एक ऐसे दुखद मामले से निपट रहा है। साथ ही, उन्होंने भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनमें जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
स्वयंसेवी आधारित गैर-लाभकारी संगठन टीम एड के संस्थापक मोहन नन्नापनेनी ने कहा, ‘हम बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बता रहे, लेकिन यह सच है कि देश में हर दिन कम से कम एक भारतीय की मौत होती है। मरने वालों में अधिकतर युवा छात्र या एच-1बी कर्मचारी होते हैं, जो हाल ही में भारत से अमेरिका आए हैं।
क्या है एच-1बी ?
एच-1बी वीजा एक गैर-आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को कुछ व्यवसायों के लिए विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने की अनुमति देता है, जहां सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल दसियों हजार कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस वीजा पर निर्भर हैं।
क्या है टीम एड ?
टीम एड एक अनूठा संगठन है। इसका लक्ष्य भारतीय समुदाय के सदस्यों की मदद करना है, जो या तो घूमने आए या विदेश में रह रहे हैं। यह ऐसे लोगों की मदद करते हैं, जो दुर्घटनाओं, आत्महत्याओं, हत्याओं या प्रियजनों की अचानक मृत्यु जैसी गंभीर परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। टीम एड में अमेरिका के साथ-साथ लगभग 25 देशों में लगभग 3,000 स्वयंसेवक हैं और यह सहायता प्रदान करने के लिए भारतीय दूतावासों, वाणिज्य दूतावासों और सामुदायिक संगठनों के साथ काम करता है।
इतिहास उठाकर देखें
नन्नापनेनी ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि हाल ही में भारत के कई छात्र परेशानी में पड़ रहे हैं और दुर्भाग्य से कुछ का निधन हो गया है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि ऐसा नहीं है कि यह अभी हाल ही में हो रहा है। अगर आप लोग इतिहास देंखे तो पिछले कई सालों से ऐसा हो रहा है। हम लोग साल 2001 से लोगों की मदद कर रहे हैं।’
नशीले पदार्थ का भी करते हैं सेवन
उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें भारतीय छात्रों की कार दुर्घटना या डूबने से मौत हुई। उन्होंने चिंता जताया कि अमेरिका में नशीले पदार्थ का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। दुर्भाग्य से, भारतीय छात्रों के नशीले पदार्थों के दुरुपयोग और ओवरडोज के शिकार होने के मामले सामने आए हैं।
उन्होंने कहा कि संगठन परिवारों और व्यक्तियों को गंभीर परिस्थितियों से निपटने में मदद करने के लिए जो भी आवश्यक है वो करता है। इसमें शवों को भारत वापस भेजने में मदद करना, स्थानीय अंतिम संस्कार करना या अस्पतालों में मदद करना भी शामिल है। पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका में भारतीय छात्रों की लगातार हो रही मौतों ने चिंता पैदा कर दी है।
यह हैं घटनाएं
1. पिछले महीने जॉर्जिया में एक बेघर ड्रग एडिक्ट ने 25 वर्षीय भारतीय छात्र विवेक सैनी की हत्या कर दी थी।
2. आईटी में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे सैयद मजाहिर अली पर शिकागो में उनके घर के पास अज्ञात लोगों ने बेरहमी से हमला कर दिया था।
3. भारतीय मूल के छात्र समीर कामथ इस सप्ताह इंडियाना के जंगल में मृत पाए गए थे। अधिकारियों का कहना है कि कामथ ने खुद को गोली मारकर जान दी है।
माता-पिता करते हैं काफी पैसा खर्च
नन्नापनेनी ने कहा कि उनका संगठन भारतीय छात्रों की ‘स्वैच्छिक और अनैच्छिक’ मौतों के मामलों से निपट रहा है। उन्होंने कहा, ‘मुझे यह देखकर बहुत दुख हुआ कि बहुत सारे युवा छात्र विभिन्न कारणों से आत्महत्या कर रहे हैं। माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ने के लिए विदेश भेजने के लिए बहुत पैसा खर्च करते हैं, लेकिन रोजगार के अवसरों की कमी छात्रों में तनाव पैदा करती है, जिनमें से कुछ आत्महत्या जैसे चरम कदम का सहारा लेते हैं।’