31 C
Mumbai
Thursday, May 2, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

आइये जानें कब जाएँ ऑक्सीजन की कमी होने पर अस्पताल

कोरोना वायरस की तबाही के दौरान मरीजों की बढ़ती तकलीफ के बीच अस्पतालों में आईसीयू बेड और ऑक्सीजन की कमी भी बड़ी चिंता का विषय है. चरों तरफ ऑक्सीजन के लिए मारामारी है. हालांकि एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया खुद ये बात कह चुके हैं कि सभी मरीजों को ऑक्सीजन थैरेपी देने की जरूरत नहीं है. इसलिए ऑक्सीजन सैचुरेशन के साथ-साथ ये समझना भी जरूरी है कि एक मरीज को किन हालातों में अस्पताल की तरफ रुख करना चाहिए.

निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें

क्या है ऑक्सीजन सैचुरेशन- ऑक्सीजन सैचुरेशन फेफड़े और तमाम अंगों तक जाने वाले खून के ऑक्सीजेनेटेड हिमोग्लोबिन का लेवल बताता है और बॉडी फंक्शन को ढंग से चलाने में मदद करता है. रीडिंग में इसका 94 से ज्यादा लेवल खतरे से बाहर होने का संकेत है. डॉक्टर्स कहते हैं कि कोरोना होने पर शरीर में ऑक्सीजन की तेजी से कमी आ सकती है.

एक्सपर्ट के मुताबिक, SpO2 लेवल 94 से 100 के बीच हमारे स्वस्थ होने का संकेत है. जबकि 94 से नीचे जाते ही ये हाइपोक्सेमिया को ट्रिगर कर सकता है, जिसमें कई तरह की परेशानियां होती हैं. अगर ऑक्सीजेनेटेड हिमोग्लोबिन का लेवल लगातार 90 के नीचे जा रहा है तो ये खतरे की घंटी है. आपको तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ेगी.

इंटेंसिव ऑक्सीजन सपोर्ट- सांस फूलना, छाती में दर्द या सांस में तकलीफ शरीर में ऑक्सीजन के प्रभावित होने का संकेत है. कुछ मरीजों में ऑक्सीजन लेवल के अचानक गिरने से उनमें रेस्पिरेटरी इंफेक्शन की शिकायत हो सकती है और तमाम अंगों व रेगुलर फंक्शन पर भी बुरा असर पड़ सकता है. शरीर में ऑक्सीजन की कमी और सांस में तकलीफ को एक हद तक घर में प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है. इसके लिए हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत नहीं है. बहुत ज्यादा हालत बिगड़ने पर ही रोगी को अस्पताल ले जाएं.

अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

91 से नीचे ऑक्सीजन- यदि शरीर में ऑक्सीजन 95 से ऊपर है तो घबराने वाली बात नहीं है. अगर ऑक्सीजन का लेवल 91-94 के बीच है तो उसे लगातार मॉनिटर करने की जरूरत है. लेकिन अगर ऑक्सीजन लेवल 1-2 घंटे तक लगातार 91 के नीचे जा रहा है तो आपको तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत है.

चेहरे या होंठों का रंग- कोरोना वायरस के कॉमन लक्षणों को लेकर लगभग सभी लोग जागरूक हैं, लेकिन इसमें कई ऐसे छिपे हुए लक्षण भी हैं जो लोग नोटिस नहीं कर पाते हैं. होठों पर नीलापन और चेहरे का अचानक से रंग उड़ना ऐसे ही लक्षणों में गिने जाते हैं. स्किन या होठों का अचानक से नीला पड़ना स्यानोसिस की पहचान है. खून में ऑक्सीजन की कमी होने पर ये दिक्कत होती है. हेल्दी ऑक्सीजेनेटेड ब्लड से हमारी स्किन को लाल या गुलाबी ग्लो मिलता है, इसलिए ऑक्सीजन कम होने पर ऐसे लक्षण दिखते हैं.

छाती या फेफड़ों में दर्द- कोरोना मरीजों में ऑक्सीजन लेवल अचानक से गिरना खतरनाक हो सकता है. इस दौरान अगर आपको छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दबाव, लगातार खांसी, बेचैनी और बहुत तेज सिरदर्द हो रहा है तो आपको डॉक्टर की मदद की जरूरत पड़ सकती है. ऐसी कंडीशन में अस्पताल में तुरंत भर्ती होने के लिए तैयार रहें.

‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

ब्रेन में ब्लड फ्लो की कमी- खून में ऑक्सीजन की कमी दिमाग तक पहुंचने वाले ब्लड फ्लो को भी प्रभावित करती है. साथ ही ऐसे कई ‘कोर ब्लड वेसेल्स’ भी प्रभावित होते हैं जो न्यूरोलॉजिकल फंक्शन को कंट्रोल करते हैं. ऐसा होने पर मरीज को कन्फ्यूजन, चक्कर आना, बेहोशी, कॉन्सनट्रेशन में कमी और विजुअल डिसॉर्डर से जुड़ी परेशानियां भी हो सकती हैं.

सोशल मीडिया पर ये भी दावा किया जा रहा है कि भाप लेने से कोरोना को नष्ट और सांस में राहत पाई जा सकती है. इसके लिए लोग पानी में तरह-तरह के तेल डालकर भाप लेते हैं. हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि लगातार भाप लेने से गले और फेफड़े से बीच की नली को नुकसान पहुंच सकता है जो कोरोना के लक्षणों को और गंभीर बना सकता है.

इसके अलावा कुछ वायरल पोस्ट में लॉन्ग, अजवाइन या कपूर को सांस में तकलीफ का बेजोड़ नुस्खा बताया जा रहा है. घर में ऐसे किसी भी प्रयोग को करने से बचें. ध्यान रखें कि ऐसी बातों को कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.

Latest news

ना ही पक्ष ना ही विपक्ष, जनता के सवाल सबके समक्ष

spot_img
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »