27 C
Mumbai
Thursday, May 2, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

आज के दिन ही भगवान् विष्णु चार माह बाद निद्रा से जागेंगे ।——————/-चैतन्य (ब्यूरो चीफ)

देवउठनी एकादशी  पर विशेष ….

देवउठनी एकादशी कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने बाद निद्रा से जागेंगे। इसके पहले आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को भगवान सोए थे। देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। भगवान विष्णु के जागने के बाद शुभ और मांगलिक काम किए जाते हैं।
क्या है इसका महत्व देवउठनी एकादशी पर माता तुलसी और भगवान शालग्राम का विवाह होता है। इस एकादशी से ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत और संस्कार पूरे होते हैं। इस एकादशी पर व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। इस एकादशी पर दीपदान करने से भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी प्रसन्न होते हैं और घर में समृद्धि आती है। देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह के समय कन्यादान करने से कई यज्ञों का पुण्य मिलता है।
तुलसी विवाह
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम से किया जाता है। अगर किसी व्यक्ति को कन्या नहीं है और वह जीवन में कन्या दान का सुख प्राप्त करना चाहता है तो वह तुलसी विवाह कर प्राप्त कर सकता है। जिनका दाम्पत्य जीवन बहुत अच्छा नहीं है वह लोग सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए तुलसी विवाह करते हैं। तुलसी पूजा करवाने से घर में संपन्नता आती है तथा संतान योग्य होती है।

पितृदोष से पीड़ित लोग जरूर करें देव उठावनी एकादशी व्रत

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे हरिशयनी या देवशयनी एकादशी कहते हैं, के दिन ब्रह्मा, इन्द्र, रुद्र, अग्नि, वरुण, कुबेर, सूर्य आदि से पूजित श्रीहरि क्षीरसागर में चार माह के लिए शयन करने चले जाते हैं। इन चार माह के दौरान सनातन धर्म के अनुयायी विवाह, नव भवन निर्माण आदि शुभ कार्य नहीं करते। श्री विष्णु के शयन की चार माह की अवधि समाप्त होती है कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को। इस दिन श्रीहरि जाग जाते हैं। इस एकादशी को देव उठावनी और देव प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। इस बार यह 19 नवंबर को है। इसी दिन से मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं। यूं तो श्रीहरि कभी भी सोते नहीं, लेकिन ‘यथा देहे तथा देवे’ मानने वाले उपासकों को विधि-विधान से उन्हें जगाना चाहिए। श्री हरि को जगाते समय- ‘उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पते। त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम॥ उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव। गता मेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिश:॥ शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।’ आदि मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए। .

इस एकादशी के बारे में कहा जाता है कि इसका उपवास कर लेने से हजार अश्वमेघ एवं सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है। पितृदोष से पीडि़त लोगों को अपने पितरों के लिए यह व्रत जरूर करना चाहिए, जिससे उनके पितृ नरक के दुखों से छुटकारा पा लें।

पौराणिक कथा है कि एक राजा के देश में सभी एकादशी का व्रत करते थे। केवल फलाहार लेते थे। व्यापारी इस दिन अन्न आदि नहीं बेचते थे। राजा की परीक्षा लेने के लिए एक दिन श्रीहरि एक सुंदर स्त्री का रूप बना कर वहां आए। उसी समय राजा उधर से जा रहे थे। राजा ने स्त्री से विवाह करने की इच्छा प्रकट की। तब उसने शर्त रखी, ‘मैं इस शर्त पर विवाह करूंगी, जब आप राज्य के सारे अधिकार मुझे देंगे। जो भोजन मैं बनाऊंगी, वही खाना होगा।’ राजा मान गए। एकादशी पर रानी ने बाजार में अन्न बेचने का हुक्म दिया। घर में मांसाहारी चीजें बनाईं। तब राजा ने कहा, ‘मैं एकादशी को सिर्फ फलाहार ही करता हूं।’ रानी ने राजा को शर्त के बारे में याद दिलाया,‘अगर आप मेरा बनाया भोजन नहीं खाएंगे तो मैं बड़े राजकुमार का सिर काट दूंगी।’ राजा को दुविधा में देख तब बड़ी रानी ने कहा,‘पुत्र तो फिर भी मिल जाएगा, लेकिन धर्म नहीं मिलेगा।’ राजकुमार को जब यह बात मालूम हुई तो वह पिता के धर्म की रक्षा के लिए सिर कटाने को तैयार हो गया। उसी समय श्रीहरि अपने वास्तविक रूप में आ गए। कहा,‘राजन! आप परीक्षा में सफल हो गए हैं। कोई वर मांगो।’ राजा ने कहा, ‘मेरे पास आपका दिया हुआ सब है। मेरा उद्धार कर दें।’राजा को तब स्वयं श्रीहरि विमान में बिठा कर देवलोक ले गए।
देवोत्थान एकादशी पूजा विधि

  1. कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  2. घर के आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाकर पूजा करें।
  3. अपने ही घर में एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल,मिठाई,बेर,सिंघाड़े,ऋतुफल और गन्ना उस स्थान पर रखकर पूजा करें।
  4. कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये भी जलाएं।
  5. रात्रि के समय परिवार के सभी सदस्य को भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं की पूजा करें।
  6. इसके बाद भगवान को शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर उठाएं और इस वाक्य दोहराएं – उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये कार्तिक मास

💐💐🙏🏻🙏🏻💐💐

Latest news

ना ही पक्ष ना ही विपक्ष, जनता के सवाल सबके समक्ष

spot_img
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »