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आतंक का गढ़ बना पाकिस्तान, तीन महीनों में 245 हमलों में 432 लोगों की मौत; चौंकाने वाली रिपोर्ट

पाकिस्तान में आतंकवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज (सीआरएसएस) की ताजा रिपोर्ट में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 2024 की पहली तिमाही में आतंकवादी हमलों और आतंकवाद विरोधी अभियानों की कुल 245 घटनाएं हुई। इन हमलों और अभियानों में 432 लोगों की मौत हुई और 370 लोग घायल हो गए। सिर्फ तीन महीनों के भीतर 432 लोगों की मौत का ये आंकड़ा बताता है कि पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ बन चुका है। खासतौर पर खैबर पख्तूनख्वा और अफगानिस्तान की सीमा से लगे बलूचिस्तान प्रांतों में बुरा हाल है। इन इलाकों में तीन महीनों में 90 प्रतिशत से ज्यादा मौतें हुई और 86 प्रतिशत हमले हुए। रिपोर्ट बताती है कि इन जगहों के मुकाबले पाकिस्तान के बाकी क्षेत्रों में माहौल अपेक्षाकृत शांत रहा। बाकी बचे क्षेत्रों में आठ प्रतिशत से कम मौतें हुई। पाकिस्तान में साल 2024 की पहली तिमाही मेंं सरकारी और निजी संपत्तियों को निशाना बनाने की 64 घटनाएं हुईं।

बलूचिस्तान का बुरा हाल
साल 2024 की पहली तिमाही में बलूचिस्तान में हिंसा की घटनाओं में 96 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि देखने को मिली। 2023 की अंतिम तिमाही में बलूचिस्तान में कुल 91 मौतें हुई थी। इस साल यह संख्या बढ़कर 178 हो गई है। उधर सिंध क्षेत्र में भी हिंसा में लगभग 47 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। इस अवधि के दौरान गिलगित-बाल्टिस्तान में हिंसा में कमी देखने को मिली। पिछले साल यहां एक दशक में सबसे अधिक मौतें हुई, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में एक नया आतंकी संगठन उभरकर सामने आया है, जिसका नाम जाभात अंसार अल-महदी खुरासान (JAMK) नामक एक नया आतंकवादी समूह उभरा है।
31 मार्च, 2024 को खैबर पख्तूनख्वा के शांगला जिले में दासू बांध परियोजना पर काम कर रहे चीनी इंजीनियरों के आत्मघाती हमला किया गया था। इस हमले में पांच चीनी नागरिकों और एक स्थानीय चालक की मौत हो गई थी। 

नागरिकों और सुरक्षा बल के जवानों की सबसे अधिक मौतें
साल 2024 के शुरुआती तीन महीनों में 245 आतंकी हमले और आतंकवाद विरोधी घटनाएं हुई। इनमें 200 आतंकवादी हमलों में 281 मौतें पाकिस्तान के लोगों और सुरक्षा बल के जवानों की हुई। बाकी बचे 45 आतंकवाद विरोधी अभियानों में 151 मौतें अपराधियों की हुईं। सुरक्षा अधिकारियों और नागरिकों पर हमलों की संख्या आतंकियों के खिलाफ चलाए गए सुरक्षा अभियानों से करीब चार गुना अधिक है। साल 2023 की अंतिम तिमाही से तुलना करें तो पता चलता है कि इस साल की पहली तिमाही में नागरिकों और सुरक्षा अधिकारियों की मौतों में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके ठीक उलट आतंकियों की मौत में लगभग 15 प्रतिशत की कमी आई। यह देखने को मिला है कि आतंकियों और विद्रोही समूहों का मुख्य निशाना सरकारी और सुरक्षा प्रतिष्ठान थे। इनमें ग्वादर पोर्ट कॉम्प्लेक्स, माच जेल और तुरबत नेवल बेस भी शामिल थे। 

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