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Wednesday, May 29, 2024

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आपकी अभिव्यक्ति – ख्याल आया कि स्टूडियो में मंदिर-मस्जिद खेल-खिलाने के अलावा मुजफ्फरपुर से भी तो टीआरपी कैश की जा सकती है। —–विजय त्रिपाठी

सौ. फाईल चित्र

मोहतरमा पांच साल तो सरकार की गोद में बैठकर कान खुजाती रहीं। लेकिन जब चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या 100 के पार पहुंच जाती है तब मैडम जी को ख्याल आता है कि स्टूडियो में मंदिर-मस्जिद खेल-खिलाने के अलावा मुजफ्फरपुर से भी तो टीआरपी कैश की जा सकती है। मैडम जी एक हफ्ते बाद सीधे अस्पताल के आईसीयू में लैंड करती हैं। डॉक्टर पर चिल्लाती हैं, चींखती हैं और हेडलाइन बनती है कि “बच्चों के इलाज के लिए डॉक्टर से भिड़ गई “एंकर”

फ्लो फ्लो में मैडम डॉक्टर की छाती पर तंबू गाड़कर पूँछती हैं कि बढ़ती हुई संख्या में बच्चों को कहाँ एडजस्ट करिएगा? मैडम जी की मानें तो अस्पताल में बैड कम होने के जिम्मेदार डॉक्टर हैं। अस्पताल में डॉक्टरों की संख्या कम होने के जिम्मेदार भी डॉक्टर हैं। अस्पताल के कमरों की चौड़ाई कम होने के जिम्मेदार भी डॉक्टर हैं। मतलब सारी समस्या के जिम्मेदार ही डॉक्टर हैं…न नीतीश कुमार हैं न प्रधानमंत्री मोदी हैं..

मोदी चालीसा की एक एक चौपाई रटी हुईं पुलित्जर पुत्री अंजना को कोई बताए कि इस देश की जनता ने मोदी-नीतीश को चुना है। देश का संचित निधि कोष मोदी-नीतीश के हाथों में है डॉक्टरों के हाथ में नहीं।

मैडम जी से कोई पूछे कि जिस सरकार के चरणों में आप गिरी ही नहीं बल्कि चरणों में लोट ही गईं उस सरकार से आपने कितनी बार सवाल किया कि कितने अस्पताल बने? आपने तो चुनाव के समय प्रधानमंत्री का इंटरव्यू भी लिया था ! आपने उस इंटरव्यू में कितनी बार पूछा कि कितने नए एम्स खुले ? कितने नए मेडिकल कॉलेज खुले?

लेकिन तब तो आप मोदी जी की मुस्कान और थकान पर मुग्ध होकर श्रृंगार रस की कविताएं लिख रही थीं। अब डॉक्टर से पूछ रही हैं कि वह मरीजों को कहाँ एडजस्ट करेंगे?

अंजना जी इतनी हिप्पोक्रेसी मत कीजिए कि हिप्पोक्रेसी भी आपकी हिप्पोक्रेसी देखकर रेस्ट इन पीस हो जाए ..,,,,,,,,,,,

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