समाजिक समरसता एवं भयमुक्त समाज का दायित्व निभाने वाले पुलिस विभाग में नौकरी करने से पहले प्रशिक्षण देकर उन्हें सदाचारी, संस्कारी, योग्य, निडर जनसेवक बनाया जाता है। ट्रेनिंग पूरी होने के पश्चात यह मान लिया जाता है कि वह अनुशासित बहादुर सदाचारी संस्कारी एवं पूरी तरह नागरिक पुलिस जिम्मेदारी निभाने लायक बन गया है और उसके हाथों में रायफल या पिस्तौल के साथ जिम्मेदारी थमा दी जाती है। इतना ही नहीं उस पर विश्वास करके उसे महत्वपूर्ण संवेदनशील धार्मिक समाजिक एवं सार्वजनिक स्थानों पर आँख मूँदकर डियुटी लगाना शुरू कर दिया जाता है। इनमें सिपाही दरोगा कोतवाल सीओ आदि उच्चाधिकारी विभिन्न धर्म सम्प्रदाय के होते हुये भी एक साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन जयहिन्द कहकर करते हैं।आम आदमी से वीवीआईपी के घरों दफ्तरों के अंदर तक घुसी पुलिस को सदाचारी शिष्ट कर्तव्यनिष्ठ माना जाता है और इसी विश्वास एवं श्रद्धा के बल पर हर व्यक्ति सुरक्षा के नाम पर पुलिस को अपने साथ साये की तरह हमेशा रखना पसंद करता है। इधर पुलिस विभाग चाहे यूपी का हो चाहे महाराष्ट्र का हो चाहे अन्य प्रान्तों का हो हर जगह संस्कारी सदाचारी पुलिस कर्मियों की संख्या लगातार घटती जा रही है जो चिंता का विषय है।जीवन के हर स्तर से जुड़ी पुलिस सेवा में संस्कारी एवं सदाचारी की कमी और असंस्कारियों की संख्या में वृद्धि होना ही लखनऊ में दो दिन पहले हुये निर्मम विवेक हत्याकांड का मुख्य कारण है। पुलिस विभाग में इस समय आगामी कुम्भ मेले के लिये धार्मिक प्रवृत्ति के सदाचारी सेवाभाव रखने वाले पुलिस कर्मियों की आवश्यकता है।बारह साल के अन्तराल पर आगामी 15 जनवरी 2019 से 4 मार्च तक लगने वाले इस विश्वस्तरीय महाकुंभ मेले के लिये माँ गंगा के सानिध्य में उनके तट पर विशालकाय नगर भी सरकार की तरफ से बसाया जा रहा है।मेले में आने वाली अपार भीड़ को सुरक्षा प्रदान करते हुये कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये पुलिस कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण आगामी 15 अक्टूबर से दिया जायेगा। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह का कहना है कि इस महाकुंभ में 22 हजार संस्कारी सदाचारी पुलिस कर्मियों की जरुरत है लेकिन संस्कारी पुलिस के मानक लायक अभी दस फीसदी ही मिल पाये हैं। पड़ोसी राज्यों ऐसे सदाचारी पुलिस कर्मियों की तलाश की जा रही है। कहने का मतलब वर्तमान समय में सिर्फ दस फीसदी ही सदाचारी संस्कारी पुलिस कर्मी ही मौजूद हैं बाकी नब्बे फीसदी असंस्कारिक हैं। जब यूपी में दस फीसदी संस्कारी सदाचारी पुलिस हैं तो अन्य पड़ोसी राज्यों में इनकी संख्या क्या होगी इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश पुलिस का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है यह बात अलग है कि कुछ असंस्कारिक लोगों इसे समय पर अपने कुकृत्यों से इसे कलंकित भी करते रहे हैं इसके बावजूद अयोध्या काशी विन्धवासिनी माँ दुर्गे के दरबार जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों से जुड़ी पुलिस की भूमिका सदैव प्रायः सेवाभाव पूर्ण संस्कारी एवं सराहनीय रहती है।पुलिस विभाग में संस्कारी पुलिस कर्मियों की तेजी से गिरती संख्या चिंता का विषय है क्योंकि इस समय विभाग को सदाचारी संस्कारी पुलिस कर्मियों की बदलते परिवेश में आवश्यकता है।
– वरिष्ठ पत्रकार / समाजसेवी