आज के हालात … क़ानून जेल में , आरोपी संसद में !!! वाह रे वाह कुर्सी की ताक़त, एक कहावत चरितार्थ होती नज़र आई…. समय-समय की बात है , समय होत बलवान । भीलन लूटी गोपिका, वहि अर्जुन वहि बान (बांण ) ॥
– रवि जी. निगम (मानवाधिकार अभिव्यक्ति, आपकी अभिव्यक्ति)
तस्वीर में जो महिला हैं उनका नाम श्वेता भट्ट हैं। संजीव भट्ट की पत्नी। आज जब उनके पति को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है,तब भी वह विचलित नहीं है। वह लड़ रही हैं। पूरी ताक़त के साथ। दोगुनी ताक़त के साथ। उनकी लड़ाई किसी आम इंसान से नहीं है।
लेकिन फिर भी श्वेता भट्ट उम्मीद करती है कि देश की जनता उनका साथ दें। इसी उम्मीद में वे पोस्ट लिखती है,कभी सुप्रीम कोर्ट तो कभी हाई कोर्ट का चक्कर काट रही है।
पिछले दिनों उनके परिवार को जान से मारने की धमकी दी गई।लेकिन पुलिस से, अदालत से सुरक्षा मांगने पर भी उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई। एक अकेली महिला सच के लिए लड़ रही है सर्वोच्च सत्ता के खिलाफ।
आज उनके साथ कोई नहीं है। वह भी उस देश में जहाँ स्त्री को देवी का दर्जा दिया जाता है। सोनी सोरी,सुधा भारद्वाज भी अकेली ही लड़ी थीं, लड़ रही है।
जरा आप सोचिए कैसे धीरे-धीरे आप मुर्दा से बना दिये गए। यह वक़्त श्वेता भट्ट के साथ मजबूती से खड़ा होने का है।
अगर संजीव जेल से जिंदा नहीं आते हैं तो उसकी मौत का जितना जिम्मेदार सबसे बड़े पद में बैठा आदमी होगा, उससे ज्यादा आप होंगे।