चित्र – बीजेपी नेता एस वी शेखर
चेन्नई में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक महिला पत्रकार के गाल छूने की वजह से उपजे विवाद के बाद तमिलनाडु के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने माफी मांगी थी। हालांकि, इसके एक दिन बाद वरिष्ठ बीजेपी नेता एस वी शेखर ने गुरुवार को एक विवादास्पद फेसबुक पोस्ट किया। इसमें उन्होंने महिला पत्रकारों को लेकर अभद्र टिप्पणियां कीं। शेखर के फेसबुक पोस्ट का शीर्षक था, ‘मदुरई यूनिवर्सिटी, गवर्नर ऐंड द वर्जिन चीक्स ऑफ ए गर्ल।’ इस पोस्ट में बीजेपी नेता ने दावा किया कि कोई भी महिला बड़े लोगों के साथ सोए बिना न्यूज रीडर या रिपोर्टर नहीं बन सकती। बता दें कि चेन्नई के पत्रकारों ने शेखर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। ये पत्रकार शुक्रवार को बीजेपी राज्य मुख्यालय के सामने प्रदर्शन करेंगे।
बीजेपी प्रेस कान्फ्रेसं कर मात्र इस बात पर की सुप्रीम कोर्ट ने स्व. मान्यनीय जज लोया के केश की CBI द्वारा दोबारा निष्पक्ष जांच को ठुकरा दिया गया। पर कांग्रेसियों और राहुल से देश से मांफी मांगने की मांग करते हुये सारा दिन देश के नम्बर वन चैनलों पर दिखाये जाते रहे । ठीक एक दिन पूर्व देश के प्रधानमंत्री विदेशी धरती पर बैठ चुनावी भाषणबाजी करते रहे साथ ही प्रसून जोशी उनकी महिमामंडन करने पर लगे रहे, उन्हेंने उनसे वही सवाल पूछे जो प्रधानमंत्री जी को एक वैश्विक नेता के रूप में उनको महिमामंडित करने में सहायक हो।
हमारे देश के प्रधानमंत्री विदेशी घरती पर बैठ अपनी उपलब्धियों का बखान अपने चिरपरचित अन्दाज में करते रहे , जहाँ उन्होने अपने “बेटी पढ़ाओं – बेटी बचाओं” नारे को बुलन्द करते रहे । जबकि देश के भीतर महिलाओं पर उनके ही विघायक और मंत्री के साथ-साथ बीजेपी नेताओं के द्वारा किये गये कृत्यों पर न तो शोक व्यक्त किया गया न ही देश से मांफी मागी ?
लेकिन हमारे देश के भक्त मीडिया चैनलों ने बिना ब्रेक के उसका लाईव प्रसारण दिखाया और उसे प्रचारित करने में ही मसगूल रहे । लेकिन महिला पत्रकार पर बीजेपी नेता एस वी शेखर द्वारा की गई अभद्र टिप्पणी पर कोई भी रिपोर्टिँग या प्रचार या प्रसार करने की जुर्रत तक नही की, देश को शर्मसार कर देने वाली घटना को क्या जनता के बीच इस लिये नहीं प्रचारित या प्रसारित किया गया कि अगले माह कर्नाटक (दक्षिण भारत) में चुनाव होने वाले हैं। जिसका बुरा असर बेजेपी पर पड़ता सकता है।
क्या मोदी जी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ-साथ सभी बीजेपी नेताओं को देश के साथ उस महिला पत्रकार से मांफी नही मांगनी चहिये ? जो मीडिया को प्रचार प्रसार में सहयोग लेने के लिये आतुर रहते हैं।
क्या ये अभद्र टिप्पणी “बेटी पढ़ाओ – बेटी बचाओं” नारे का (चीरहरण) नारा नही खोल रही हैं ?
क्या कोई मां बाप अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा कर इस लिये बड़ा करता है कि ऐसी तुच्छ मानसिकता के लोग उस पर इस तरह की अभद्र टिप्पणी करें ?
क्या पत्रकारिता का स्तर इतना गिर गया है ? क्या ये पत्रकारिता को निचले स्तर पर पहुँचाने की साजिश नही की जा रही ? क्या ये पत्रकार और पत्ररकारिता का अपमान नहीं है।
क्या ऐसे नेता देश के जनप्रतिनिधि बनने के लायक हैं ? क्या इसी आलोचना न करके हम ऐसे तुच्छ मानसिकता और विकृत मानसिकता के लोगों को बढ़ावा देना चाहते हैं ?
पत्रकारिता कुछ गिने चुने लोगों की कमाई का जरिया हो सकता है। लेकिन असल मायने में पत्रकारिता वो करते है जो जनता और देशहित में कार्य करते हैं और अपना सर्वत्र निक्षावर करते है और सैदव जान जोखिम में डालकर अपना कर्तब्य पूरा करते हैं ।
ऐसे नेता जो पद, प्रतिष्ठा, रुतवे और लाभ को मन में पलित कर कार्य करते हैं क्या कभी ऐसी सोंच से देश का भला कर सकते हैं। जिस देश में नारी को प्रथम पंक्ति में माना जाता हो और सम्मानित दृष्टि से देखा जाता है।
क्या अभी भी मीडिया इसे अपना या अपने महिला साथियों का अपमान नहीं मानती है ? क्या अभी भी इसकी आलोचना को नजरंदाज किया जयेगा ?