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Friday, May 3, 2024

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आपकी अभिव्यक्ति – भैयादूज के पर्व के साथ हुये पाँच दिवसीय दीपोत्सव महापर्व पर विशेष – भोलानाथ मिश्र

कल पाँच दिवसीय प्रकाशोत्सव दीपोत्सव महापर्व का समापन यम द्वितीया पर भैय्या दूज पर्व के साथ हो गया और कल एक बार फिर भाई बहन की आस्था श्रद्धा समपर्ण का एक ऐसा अटूट शैलाब उमड़ा जिसे देखकर दुनिया एक बार फिर टूकुर टुकुर भारतीय संस्कृति को देखती रह गयी। पवित्र कार्तिक महीने के दूसरे दिन मनाये जाने वाला यह बहन के भाई के प्रति समर्पण का दुनिया के सामने एक भारतीय नारीशक्ति का प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत करने वाला है। आज जहाँ हम बदलते परिवेश में रिश्तों नातों को भूलते एवं कलंकित करते जा रहे हैं वहीं भाई बहन का खूनी रिश्ता आज भी रक्षाबंधन की तरह जमीनी स्तर पर जीवंत बना हुआ है।भैयादूज के अवसर पर बहने पूरा दिन बिना पानी पीये सारा दिन निरजला व्रत रहती है और भाई की लम्बी आयु की कामना एवं स्वस्थ प्रसन्न उज्जवल भविष्य की ईश्वर से प्रार्थना कर उनको रोली चंदन लगाकर उनकी आरती उतारती हैं। यह व्रत रक्षाबंधन से भी अधिक भाई बहन के अगाध प्रेम को प्रदर्शित करने वाला पर्व है क्योंकि रक्षाबंधन पर व्रत रखकर भाई को रोली चंदन लगाकर रक्षासूत्र बाँधने नहीं आती हैं। हमारे यहाँ सनातन धर्म संस्कृति से जुड़े सभी पर्व व्रत प्रायः किसी न किसी पौराणिक घटनाओं से जुड़े होता हैं और इस भैया दूज के इस अनूठे पर्व के पीछ भी एक पौराणिक कथा जुड़ी है। कहते हैं कि यमराज अपने कामकाज में इतना व्यस्त हो गए कि अपनी बहन के यहाँ कभी नही जा पाते थे लेकिन कार्तिक मास की द्वितीया को वह समय निकालकर बहन के यहाँ पहुंच गये थे और उन्होंने रोली चंदन लगाकर उनकी आरती उतारकर उनके शतायु होने एवं सुखमय आनंदमय उज्जवल भविष्य की कामना की थी। तभी से यह पर्व यम द्वितीया के दिन भाई बहन अटूट श्रद्धा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।बहन भाई का खूनी रिश्ता होता है फर्क इतना है कि पैदा होकर बड़ा होने के बाद एक का आशियाना बाप का घर तो दूसरे का ससुराल में हो जाता है।आज के बदलते दौर में भले ही कुछ भाई बहन के मामलों को अपवाद के रूप में छोड़कर बाकी अधिकांश भाई बहन के रिश्ते मरते दम तक जीवन भर की भागीदारी का अटूट आस्था विश्वास के रूप में यथावत कायम है और बहनों का भाई के प्रति समर्पण एवं लगाव अंतिम सांस तक बना रहता है।इतना ही नहीं वह अपने भाई की मौजूदगी पर ससुराल में गर्व कर उनके नाम पर इतराती रहती हैं।

– वरिष्ठ पत्रकार / समाजसेवी

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