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Sunday, May 5, 2024

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आपकी अभिव्यक्ति – भ्रष्टाचार में डूबे सरकारी निगम और परिवहन निगम में हो रही धोखाधड़ी जालसाजी के पर्दाफाश पर विशेष – भोलानाथ मिश्र

दुनिया में हर व्यवसाय फायदे के लिये होता है और जिस व्यवसाय में फायदे की जगह घाटा हो तो समझ लेना चाहिए कि कुछ दाल में काला है। व्यवसाय चाहे फैक्ट्री कारखाने या दूकान प्रतिष्ठान संस्थान अथवा सरकारी निगम हो सभी व्यवसाय से जुड़े होते हैं। आमजनता को आवागमन की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार उत्तर प्रदेश परिवहन निगम का गठन कर यात्रियों को व्यवसायिक बस सेवाएं आज से नहीं बल्कि आजादी के बाद से ही उपलब्ध करवा रही है।इधर सरकारी निगमों का नाम व्यवसायिक भ्रष्टाचार में सरेबाजार बदनाम हो रहा है और लोग निगम का नाम सुनते ही उसे भ्रष्टाचार में डूबा मान लेते हैं। एक गरीब आदमी दो चार लाख खर्च करके पुरानी बस या ट्रक खरीद कर दो तीन साल में नयी बस या ट्रक ले आता है और पुरानी वाली को भाग्यशाली मानकर उसे बेचता नहीं बल्कि उससे भी कमाई करता है।परिवहन निगम के समानांतर चल रहा प्राइवेट एवं डग्गामार परिवहन निगम लगातार उत्तरोत्तर वृद्धि करता जा रहा है कि परिवहन निगम हमेशा घाटे का रोना रोये करता है। प्राइवेट बस कभी खाली नहीं मिलेगी लेकिन सरकारी रोडवेज की बसों को कभी भी और कहीं भी देखा जा सकता है। परिवहन निगम को घाटा यात्रियों की वजह से नहीं हो रहा है बल्कि उसके अपने ही निगम के लुटेरें उसकी बरबादी के सबब बने हुये हैं।निगम को रसातल पहुंचाने में ड्राइवर कन्डेक्टर वर्कशॉप निरीक्षक से लेकर क्षेत्रीय प्रबंधक तक शामिल होते हैं। यात्री बसों की राह देखा करती है लेकिन चालक परिचालक उनकी आँखों के सामने से अथवा बाईपास होकर गुजर जाती हैं। चालक परिचालक अपनी बस के यात्रियों की ढाबों पर बिक्री करते हैं और जो ढाबा वाला जितनी मोटी रकम एवं खाना नाश्ता पान सिगरेट मसाला आदि उपलब्ध करता है उसे मालामाल कर देते हैं। इन ढाबों पर दूने दाम पर सड़ा गला पुराना घटिया किस्म का सामान मिलता है लेकिन यात्रियों की मजबूरी होती है क्योंकि दूसरा ढाबा बगल नहीं होता है और होता भी है तो हमेशा बस छूट जाने का भय बना रहता है।रोडवेज मे यात्रियों के साथ उनके साथ सामान का भी भाड़ा वसूला जाता है लेकिन उसमें भी बंदरबांट हो जाता है। अबतक परिवहन निगम की बसों में प्राइवेट बसों से अधिक किराया देकर लोग टिकट लेकर इसलिए बैठते हैं कि इस टिकट के आधार पर कोई घटना दुर्घटना हो जाने पर मुआवजा और बीमे का लाभ मिलेगा। अभी दो दिन पहले परिवहन निगम को रसातल में पहुंचाने के खेल का राजफाश हुआ है और निगम के दो क्षेत्रीय प्रबंधकों तीन सहायक प्रबंधकों के साथ चौदह लोगों को निलम्बित किया गया है। इसके अलावा इक्यावन रोडवेज संविदा कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है। परिवहन निगम को पिछले पचास वर्षों से घाटा क्यों हो रहा था इसका पर्दाफाश एटीएस पुलिस और विभागीय जाँच के बाद हुआ है।निलम्बन की कार्यवाही विभाग ने की है बाकी कार्यवाही एटीएस करेगी। इस भंडाफोड़ के बाद इस तरह की जालसाजी होने की और आशंकाएं बढ़ गई हैं तथा धीर धीरे समझ में आने लगा है कि बीमार निगम को कुछ परिवहन कर्मी स्वास्थ्य नहीं कर रहे थे बल्कि उसका खून चूसकर उसे बीमार कर उसकी जान लेने पर आमादा हैं। परिवहन निगम को लूटने का यह गोरखधंधा अधिकारियों कर्मचारियों की मिली भगत से पिछले पचास सालों से फलफूल रहा है और जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे बैठे हराम की कमाई में हिस्सा खाते रहे हैं ।परिवहन निगम के मुख्य प्रधान प्रबंधक प्रशासन की जाँच रिपोर्ट के आधार पर एमडी द्वारा की गई कार्यवाही से निगम के अधिकारियों कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है क्योंकि पहली बार एक साथ इतनी बड़ी कार्यवाही की गई है। परिवहन निगम के अलीगढ़ परिक्षेत्र में बसों में यात्रियों को पाँच दशकों से नकली टिकट दिये जा रहे थे जो निगम ही नहीं बल्कि यात्रियों के साथ धोखाधड़ी थी। परिवहन निगम के इस परिक्षेत्र से जुड़े सभी डिपों भी इस धोखाधड़ी में शामिल थे और सभी अपनी जेब भरने के लिये इतने वर्षों से निगम की आँखों से धुल झोंक रहे थे। ताज्जुब तो यह है कि पूर्व एमडी से यह शिकायत की गई थी लेकिन किन्हीं कारणों से उन्होंने कोई तव्वजो नहीं दिया जो साबित करता है कि इस धोखाधड़ी में वेल टू बाटम शामिल हो गया था।वर्तमान एमडी ने उसी शिकायत की जाँच करवाकर यह कार्यवाही की है जबकि इस मामले की जाँच एटीएस भी करके उसकी रिपोर्ट सरकार को दे चुकी है। एटीएस की जाँच में जो दोषी पाये गये हैं या आगे पाये जायेंगे उनके खिलाफ कार्यवाही एटीएस नियमानुसार करेगी।

– वरिष्ठ पत्रकार / समाजसेवी

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