इराक़ से अमरीकी सैनिकों के बाहर निकलने के बारे में तरह तरह की ख़बरें सामने आ रही हैं जिनमें से कुछ एक दूसर के विरोधी भी हैं।
विदेश – इराक़ से अमरीकी सैनिकों के बाहर निकलने के बारे में जो भी ख़बरें आ रही हैं लेकिन ऐसा लगता है कि सशस्त्र प्रतिरोध के बिना यह सैनिक केवल समय नष्ट करते रहेंगे और इराक़ में बने रहने की कोशिश करेंगे। पिछले हफ़्ते अमरीका ने घोषणा की थी कि उसके सैनिक इराक़-सीरिया सीमा पर स्थित अलक़ाएम नामक अपनी सैन्य छावनी से निकल गए हैं और इराक़ी सेना की संयुक्त कमान के प्रवक्ता जनरल तहसीन अलख़फ़ाजी ने भी कहा था कि इराक़ से अमरीकी सैनिकों के हमेशा के लिए निकलने का क्रम शुरू हो गया है। उन्होंंने बताया था कि अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़ के सभी सैनिक इराक़ से निकल जाएंगे। इसी के साथ इराक़ी संसद में फ़त्ह धड़े के एक सांसद मुहम्मद करीम ने बताया था कि अमरीका, इराक़ के स्वयं सेवी बल के ठिकानों को निशाना बना कर इराक़ में उनके ठिकानों में पेट्रियट मीज़ाइल डिफ़ेंस सिस्टम स्थापित करना चाहता है। उनका कहना था कि अमरीका हश्दुश्शाबी के ठिकानों को निशाना बना कर दाइश को फिर से इराक़ में जीवित करना चाहता है और अमरीकी सैनिकों का इराक़ से निकलने का कोई इरादा नहीं है बल्कि वे अपने शैतानी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इराक़ में नए संकट पैदा करना चाहते हैं।
फ़्रान्स के समाचारपत्र लेफ़ेगारो ने लिखा है कि सैकड़ों अमरीकी सैनिक इराक़ की तीन छोटी सैन्य छावनियों से निकलने वाले हैं जबकि इराक़ की दो बड़ी सैन्य छावनियों में सशक्त एयर डिफ़ेंस सिस्टम लगाए जाएंगे। इस पत्र के अनुसार अमरीका के नेतृत्व वाले कथित अंतर्राष्ट्रीय सैन्य गठजोड़ के प्रवक्ता माइल्ज़ केगिन्ज़ ने कहा है कि गठजोड़, इराक़ में अपनी छोटी सैन्य छावनियों से सैनिकों को दूसरे स्थानों तक पहुंचा रहा है जबकि इसी गठजोड़ के एक सैन्य अधिकारी ने बताया है कि अलक़ाएम छावनी से सैनिकों को दूसरे स्थानों तक पहुंचाने का पहला क़दम उठाया जा चुका है और इस सैन्य छावनी से 300 अमरीकी सैनिकों को दूसरी जगहों पर पहुंचा दिया गया है। अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने इससे पहले, सीरिया से अमरीकी सैनिकों की वापसी की सूचना दी थी लेकिन उनका यह वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है बल्कि उन्होंने सीरिया के तेल के कुंओं पर क़ब्ज़े के लिए अमरीकी सैनिकों की सीरिया में उपस्थिति को ज़रूरी बताया था। इस आधार पर ऐसा लगता है कि अमरीकी अधिकारी, इराक़ से अपने सभी सैनिकों को वापस बुलाने का इरादा नहीं रखते।
बग़दाद में अमरीकी सेना की आतंकी कार्यवाही और ईरान की आईआरजीसी के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी, इराक़ के स्वयं सेवी बल के उप कमांडर अबू महदी अलमुहंदिस और उनके अन्य साथियों की हत्या के बाद इराक़ की संसद ने अपने देश से अमरीकी सैनिकों की तुरंत वापसी का प्रस्ताव पास किया था लेकिन अमरीका ने अपने सैनिकों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा कर और इराक़ी सरकार पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दे कर या फिर अपने सैनिकों को इराक़ी कुर्दिस्तान पहुंचाने की कोशिश करके अब तक अपने सैनिकों को इराक़ से बाहर नहीं निकाला है। लेफ़ेगारो के अनुसार पेंटागोन के कुछ क़रीबी सूत्रों का कहना है कि अमरीका ने हाल में अपने सैंकड़ों सैनिकों को केवल एक छावनी से दूसरी छावनी पहुंचाया है और किसी भी सैनिक को इराक़ से बाहर नहीं भेजा है, लेकिन सवाल यह है कि क्या अमरीका, समय नष्ट करके और अपने सैनिकों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा कर, इन सैनिकों को इराक़ से बाहर निकालने से इन्कार कर सकता है?
इस सवाल के जवाब में ऐसा प्रतीत होता है कि इराक़ में अमरीकी सैनिकों के बने रहने या इस देश से उनके निकलने का संबंध, इराक़ में अमरीका को होने वाले जानी और माली नुक़सान और साथ ही इराक़ के राजनैतिक हालात से है। इराक़ में अमरीका को होने वाले जानी और माली नुक़सान के बारे में कहा जा सकता है कि हालिया हफ़्तों में अमरीकी सैनिकों के ख़िलाफ़ सशस्त्र संघर्ष शुरू हो चुका है और यह अभी बहुत ज़्यादा नहीं फैला है लेकिन इन्हीं सीमित हमलों ने ही यह चेतावनी दे दी है कि इराक़ी किसी भी स्थिति में इस बात की अनुमति नहीं देंगे कि अमरीकी सैनिक उनके देश में बाक़ी रहें और जैसे जैसे उनके हमले बढ़ते जाएंगे, वैसे वैसे मरने वाले अमरीकी सैनिकों की संख्या भी बढ़ेगी और अमरीका को फ़ज़ीहत के साथ इराक़ से निकलना ही पड़ेगा। जहां तक रजानैतिक हालात की बात है तो, इराक़ की संसद अब भी अपने देश से अमरीकी सैनिकों के निष्कासन के विधेयक को व्यवहारिक बनाने पर बल दे रही है और अमरीका द्वारा इराक़ में राजनैतिक अराजकता पैदा करने और अपनी मर्ज़ी के व्यक्ति को सत्ता में पहुंचाने की उसकी कोशिशों के बावजूद इराक़ की संसद और जनता उसकी चालों को समझ चुकी है और अमरीकी सैनिकों को बाहर निकालने के संकल्प पर डटी हुई है। इन सब बातों के मद्देनज़र ऐसा लगता है कि इरक़ में एक स्वाधीन सरकार के गठन और सशस्त्र प्रतिरोध के व्यापक हो जाने के बाद, अमरीका, इस देश में अपने सैनिकों को इधर से उधर करने का खेल समाप्त करके पूरी तरह से इस देश से निकलने पर मजबूर हो जाएगा।
साभार पी.टी.