बेंजामिन नेतन्याहू एक बार फिर जल्द ही इस्राइल के प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे। लेकिन इससे पहले कई अड़चनें उनके बीच में आ रही हैं। सरकार बनाने के लिए उन्होंने अपनी लिकुड पार्टी के साथ मंगलवार को यूनाइटेड टोरा यहूदी धर्म (यूटीजे) के साथ एक अंतरिम गठबंधन समझौते पर हस्ताक्षर किए। वहीं इस्राइल के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बेंजामिन नेतन्याहू को संसदीय बहुमत हासिल करने के लिए गठबंधन में साथी कम हैं।
इस्राइल में एक नवंबर को आम चुनाव के परिणाम आए थे। इसके बाद, नेतन्याहू को गठबंधन पेश करने के लिए 28 दिनों का समय दिया गया था। हालांकि नेतन्याहू की पार्टी ने धार्मिक-राष्ट्रवादी दलों के मजबूत प्रदर्शन को देखते हुए गठबंधन करने के लिए बातचीत की बात कही थी, लेकिन बातचीत लंबी साबित हुई है। वहीं अब इस्राइली नेता नेतन्याहू को गठबंधन के लिए एक और पार्टी चाहिए। इसके लिए वह और वक्त मांग सकते हैं।
नेतन्याहू इसके पहले 14 वर्ष प्रधानमंत्री पद पर रह चुके हैं। लेकिन इस बार जब वे इस पद पर आ रहे हैं, तब अंतरराष्ट्रीय हालात बदले हुए हैं। ईरान के साथ उनके रिश्ते हमेशा बेहद तनावपूर्ण रहे। इस बीच अंतरराष्ट्रीय मंच पर ईरान की भूमिका बढ़ी है। यूक्रेन युद्ध में रूस ने जिस तरह वहां बने ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल किया है, उससे ईरान को अब अधिक मजबूत शक्ति के रूप में देखा जा रहा है।
लगभग चार सालों के पांच चुनावों के बाद एक नवंबर को हुए संसदीय चुनावों में नेतन्याहू और उनके सहयोगियों ने 120 में से 64 सीटों पर जीत हासिल की। लिकुड पार्टी ने एक बयान में कहा कि उसने इतामार बेन-गवीर के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो एक चरमपंथी राजनीतिज्ञ हैं, जिनके नेतन्याहू की सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री बनने की उम्मीद है।