रिपोर्ट – सज्जाद अली नयाने
अरब जगत के प्रसिद्ध पत्रकार अब्दुलबारी अतवान ने ईरानी ऑयल टैंक को छोड़े जाने पर अपने विचार प्रकट किये हैं जिसमें बहुत ही ध्यान योग्य बिन्दु है…
इस रोचक आलेख को ज़रूर पढ़ें…
गत 4 जूलाई से जिब्राल्टर स्ट्रेट में ब्रिटेन द्वारा पकड़े गये ईरानी ऑयल टैंकर ग्रेस-1 को छोड़ा जाना केवल ईरान के लिए एक बड़ी सफलता नहीं बल्कि अमरीका के लिए एक बड़ी पराजय भी है जिसने ईरानी ऑयल टैंकर को छोड़े जाने की राह में रुकावट करने की भरपूर कोशिश की और औपचारिक रूप से ब्रिटेन से मांग की कि इस ईरानी ऑयल टैंकर को उसके हवाले कर दिया जाए किंतु उसे अपने सब से निकटवर्ती घटक की ओर से इन्कार का अपमान सहना पड़ा।
अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने तीन दिन पहले ही लंदन की यात्रा की और इस देश के प्रधानमंत्री बोरिस जान्सन से भेंट भी की जिसके दौरान उन्होंने इस ऑयल टैंकर की आज़ादी को रोकने के लिए बहुत दबाव डाला ताकि अमरीका की इज़्ज़त बची रह जाए लेकिन उनकी सारी कोशिश बेकार हो गयी क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने आंशिक रूप से ही सही किंतु अमरीका की मूर्खतापूर्ण व युद्धोन्मादी नीतियों से दूर रहने का फैसला कर लिया था ताकि ईरान के क़ब्ज़े में मौजूद ब्रिटिश ऑयल टैंकर को आज़ाद कराने की प्रक्रिया तेज़ हो और यह बेहद अक्लमंदी का फैसला है।
अमरीका के कहने पर ईरान के ऑयल टैंकर को पकड़ना ब्रिटिश सरकार की बहुत बड़ी गलती थी और यह समझना भी उसकी भूल थी कि अगर वह ईरानी ऑयल टैंकर को पकड़ लेगा तो ईरानी, उसके सामने आकर गिड़गिड़ाएंगे और अपनी गलती की माफी मांगेगे क्योंकि ब्रिटेन के इस क़दम का परिणाम उल्टा निकला है। जब ईरान के वरिष्ठ नेता ने चेतावनी दी थी तब से ही यह स्पष्ट हो चुका था कि अगर ब्रिटेन ने ईरानी ऑयल टैंकर को पकड़े रखा तो अगर बड़ा नहीं तो उस जैसा जवाब उसे ज़रूर दिया जाएगा। ईरान ने चेतावनी के बाद दो हफ्तों तक इंतेज़ार किया और फिर ईरान के वरिष्ठ नेता ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह जो कहते हैं वह करते भी हैं। आईआरजीसी के नौसैनिकों ने उनके आदेश का पालन किया और 4 अमरीकी युद्धपोतों के बीच से ब्रिटिश ऑयल टैंकर को चील की तरह झपट लिया, यही नहीं इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया और फिर उसे सोशल मीडिया पर अपलोड भी कर दिया ताकि पूरी दुनिया अपनी आंख से देख ले।
ब्रिटेन ने दो बार गलती थी। एक बार तो तब जब उसने अमरीकी आदेश का पालन किया और ईरानी ऑयल टैंकर को पकड़ लिया और दूसरी बार तब जब चेतावनी के बाद भी उसने अपनी गलती को सुधारा नहीं , लेकिन अब हमें लगता है कि ब्रिटेन ने जॉन बोल्टन को बैरंग लौटा कर और ईरानी ऑयल टैंकर को अमरीका के हवाले करने की मांग ठुकरा कर अपनी गलती सुधार ली है।
हम पहले भी कह चुके हैं और अब फिर दोहरा रहे हैं, ईरान, अपना सब कुछ दांव पर लगा कर मैदान में उतरा है और जो धमकी देता है वह कर गुज़रता है। ट्रम्प की बहुत बड़ी गलतफहमी थी कि ईरान भी उनके फार्स की खाड़ी के घटकों की तरह व्यवहार करेगा अर्थात उनकी हर मांग के आगे सिर झुकाएगा, उनके हर आदेश का पालन करेगा और बिना कुछ बोले अपने खज़ाने का मुंह खोले ब्लैकमेल होता रहेगा। यह ट्रम्प की बहुत बड़ी गलती थी।
अब ईरानी ऑयल टैंकर पूरी दुनिया में पूरी आज़ादी के साथ घूमेंगे क्योंकि अब किसी भी देश में इतना साहस नहीं है कि वह किसी ईरानी ऑयल टैंकर को हाथ लगा दे यहां तक कि अमरीका में भी यह साहस नहीं है क्योंकि हर देश को यह पता है कि ईरान का जवाब तैयार है जैसा कि ईरान ने ब्रिटेन और ब्राज़ील के साथ किया है। यहां पर याद दिला दें कि ब्राज़ील ने अमरीकी आदेश मानते हुए ईरान के मालवाहक जहाज़ से माल उतारने के बाद उसे ईंधन देने से इन्कार कर दिया था ईरान ने ब्राज़ील से आयात रोकने के धमकी दी तो ब्राज़ील ने फौरन ही अपने क़दम पीछे हटा लिए।
ब्रिटिश ऑयल टैंकर
ट्रम्प सरकार फार्स की खाड़ी के युद्ध का पहला ही चरण सैन्य और मनोबल की दृष्टि से हार चुकी है क्योंकि वह तो ईरान द्वारा अपने अत्याधुनिक ड्रोन विमान को गिराने का बदला भी नहीं ले पायी हां कुछ दिनों बाद यह दावा किया कि उसने ईरान के एक ड्रोन विमान को मार गिराया है और इस बात पर ज़ोर दिया कि जल्द ही उसका वीडिया दिखाया जाएगा हम एक महीने से इस वीडियो का इंतेज़ार कर रहे हैं और महसूस हो रहा है कि यह इंतज़ार लंबा होगा।
आंख के बदले आंख… ऑयल टैंकर के बदले ऑयल टैंकर, वह एकमात्र भाषा है जो ट्रम्प सरकार और उसके घटकों की समझ में अच्छी तरह से आती है। ब्रिटेन ने खतरे को भांप लिया और ईरानी ऑयल टैंकर को छोड़ दिया और बड़ा अच्छा फैसला किया हमें पूरा यक़ीन है कि ट्रम्प सरकार भी अंत में समझ ही जाएगी और परमाणु समझौते में वापस लौटेगी और ईरान के खिलाफ अन्यायपूर्ण प्रतिबंध खत्म करेगी क्योंकि अन्य विकल्प विनाशकारी हैं जिससे उसे और उसके घटकों और क्षेत्र में उसकी छवनियों बल्कि पूरी दुनिया को नुक़सान पहुंचेगा।
ट्रम्प को देश प्रेम की भावना के बारे में कुछ नहीं मालूम और न ही उन्हें यह अंदाज़ा है कि इस धरती पर बहुत से राष्ट्र हैं जहां अपने देश के सम्मान व प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए लोग अपना जान दे देते हैं इस क्षेत्र में ईरानी राष्ट्र और उसके घटकों का नाम सबसे पहले लिया जाता है।
ग्रेस– 1 ईरानी ऑयल टैंकर के बारे में ईरान की विजय, इस्राईल और उसके नये – नये अरब मित्रों के लिए भी एक संदेश है और हमें उम्मीद है कि वह इस संदेश के हर शब्द पर गौर करेंगे।
वह संदेश यह है कि प्रतिरोघ मोर्चे को ही सफलता मिलेगी, इस्लामी राष्ट्र की नयी सुबह होगी और अमरीकी व इस्राईली धौंस व धांधली का युग खत्म हो गया है, आगे हालात और अलग होंगे, आप सब देख ही लेंगे।