रिपोर्ट – सज्जाद अली नयाने
न्यूयार्क टाइम्ज़ ने अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट में ईरान पर हमले के लिए अमरीकी सरकार पर इस्राईल और कुछ चरमपंथी अमरीकियों की ओर से डाले जा रहे दबावों का उल्लेख करते हुए लिखा है कि ” इस्राईल और अमरीका में चरमपंथियों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ युद्ध के लिए एक दशक का समय लगाया है।”
विदेश – इस रिपोर्ट को अमरीका व इस्राईल के दो पत्रकारों ने मिल कर तैयार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान के साथ परमाणु समझौता होने से पहले इस्राईल, अमरीका और ईरान के त्रिकोण ने युद्ध की धमकी का सहारा लिया और हर पक्ष दूसरे को यह विश्वास दिलाने का प्रयास करता था कि वह युद्ध के लिए तैयार है जबकि अमरीका व इस्राईल, एक दूसरे को और ईरान को यह समझाने का प्रयास करते थे कि ज़रूरत हुई तो वह ईरान पर हमला कर देंगें।
ईरान पर हमले का अभ्यास!
न्यूयार्क टाइम्ज़ की रिपोर्ट में युरोप और इस्राईल के कई अधिकारियों से की गयी बात चीत के हवाले के साथ बताया गया है कि सन 2012 में इस्राईली सेना, ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर सीमित हमला करने ही वाली थी। न्यूयार्क टाइम्ज़ की रिपोर्ट में बताया गया है कि राष्ट्रपति बाराक ओबामा की सरकार ने ईरान के खिलाफ हमले का कार्यक्रम बनाया था और अमरीका के पश्चिमी रेगिस्तान में ईरान के परमाणु प्रतिष्ठान के साइज़ जितना बड़ा एक माडल बनाया और उसे एक बेहद भारी बम से तबाह कर दिया ताकि इस प्रकार से ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले का अभ्यास हो सके।
रिपोर्ट में बताया गया है कि अमरीकी, इस्राईलियों की जासूसी करते थे और इस्राईली, ईरानियों की जासूसी करते थे। अमरीकी सेटेलाइटों ने आज़रबाइजान की एक छावनी से इस्राईली ड्रोन विमानों की, ईरान की ओर उड़ान का वीडियो रिकार्ड किया है।
सन 2012 में अमरीकी खोजी विमानों ने कुछ इस्राईली युद्धक विमानों की फुटेज भेजी जिनसे यह पता चलता था कि वह ईरान पर हमले के लिए तैयार किये जा रहे हैं। अमरीका के तत्कालीन रक्षा मंत्री ल्योन पेन्टा ने इस्राईलियों को शांत करने के लिए एहुद बाराक को पेंटागोन बुलाया और उन्हें अत्याधिक गोपनीय वीडियो दिखाया। इस वीडियो में अमरीका का 30 हज़ार पौंड के बम ने ईरानी परमाणु प्रतिष्ठान के माडल को ध्वस्त कर दिया। यह वीडियो देख कर एहुद बाराक की खुशी का ठिकान न रहा।
सन 2006 में इस्राईल के तत्कालीन प्रधानमंत्री एरियल शेरून कोमा में चले गये और उनके सहयोगी एहुद ओलमर्ट ने पद संभाला और फिर मोसाद को ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए असीमित अधिकार और बजट दे दिया।
सन 2007 में एहुद बाराक को ओलमर्ट ने रक्षा मंत्री बनाया जिसके बाद एहुद बाराक ने इस्राईली चीफ आफ आर्मी स्टाफ को लिखित आदेश दिया कि वह ईरान पर एक बड़े हमले की योजना बनाएं।
नेतेन्याहू ने भी बहुत प्रयास किये
सन 2007 में नेतेन्याहू अमरीका गये और वहां उन्होंने तत्कालीन अमरीकी उप राष्ट्रपति डिक चिनी से मुलाक़ात की और कहा कि अगर, पश्चिम , ईरान के खिलाफ प्रभावशाली सैन्य कार्यवाही नहीं करता तो ईरान निश्चित रूप से परमाणु बम बना लेगा। दर अस्ल चिनी ही नेतेन्याहू की बात सुन सकते थे अन्यथा उस समय अमरीका की सत्ता के गलियारे में एक नये युद्ध में रूचि रखने वालों की कमी थी किंतु डिक चिनी, जान बोल्टन की तरह ईरान के खिलाफ युद्ध के समर्थक थे। यहां तक कि ईरान पर हमले को लेकर सन 2008 में उनकी अमरीका का तत्कालीन रक्षा मंत्री राबर्ट गेट्स से झगड़ा भी हो गया था।
जूलाई 2009 में जब राबर्ट गेट्स ने इस्राईल का दौरा किया और उसी समय ईरान में हंगामे शुरु हो गये तो नेतेन्याहू ने राबर्ट गेट्स से कहा कि यह समय ईरान पर हमला करने का सब से अच्छा समय है।
मई सन 2008 में जार्ज बुश ने अमरीकी राष्ट्रपति के रूप में अंतिम बार इस्राईल का दौरा किया। ओलमर्ट को उम्मीद थी कि इस यात्रा के दौरान ईरान के खिलाफ अमरीका व इस्राईल के मध्य खुफिया एजेन्सियों के स्तर पर सहयोग में विस्तार होगा। बुश को यह सुझाव पसंद आया और इस सहयोग के परिणाम में ” ओलंपिक गेम्स” नामक अभियान शुरु हुआ जिसका उद्देश्य, ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर इलेक्ट्रानिक हमला था। इसी अभियान के दौरान स्टैक्सनेट सहित कई वायरस ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों में इलेक्ट्रानिक हमले के लिए तैयार किये गये।
जार्ज बुश की इस यात्रा के दौरान इस्राईल के तत्कालीन प्रधानमंत्री ओलमर्ट ने उन्हें अपने घर पर डिनर पर बुलाया और खाने के बाद चहलक़दमी के दौरान जार्ज बुश से कहा कि वह ईरान पर हमला कर दें।
स्वंय ओलमर्ट उस रात के बारे में बताते हैं कि अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रपति ने कड़ाई के साथ ईरान पर हमले का विरोध किया। कुछ ही देर बाद एहुद बाराक भी इस बात चीत में शामिल हो गये और ईरान के खतरे के बारे में लंबी चौड़ी चर्चा के बाद वह ईरान पर हमले की बात करने ही वाले थे कि बुश ने गुस्से में उनकी बात काट दी और कहा ” जनरल बाराक! आप जानते हैं ” नहीं ” का मतलब क्या होता है? ” नहीं ” यानि ” नहीं”।
सन 2008 में ब्रिटेन के लिए काम करने वाले एक जासूस ने ईरान के फोर्दो परमाणु प्रतिष्ठान के बारे में जानकारी दी जिससे अमरीका और इस्राईल की यह समझ में आ गया कि ईरान की परमाणु शक्ति कम करने के लिए उनकी ओर से किये जाने वाले प्रयास किस सीमा तक विफल साबित हुए हैं।
ईरान के खिलाफ हमला , एक सपना जो साकार न हो पाया
नवंबर सन 2010 में नेतेन्याहू और एहुद बाराक ने इस्राईली सैन्य कमांडरों के साथ एक खुफिया बैठक का आयोजन किया ताकि ईरान पर हमले के लिए नयी योजना तैयार की जाए।
इस्राईल के तत्कालीन चीफ आफ आर्मी स्टाफ जनरल गेबी एश्कनाज़ी ने बैठक में उपस्थित लोगों को बताया कि कि इस्राईली सेना ईरान के खिलाफ अभियान के लिए आवश्यक शक्ति व सामर्थ की सीमा पार नहीं कर पायी है। इस बयान ने ईरान पर हमले की एहुद बाराक और नेतेन्याहू की आशा पर पानी फेर दिया।
मोसाद के तत्कालीन प्रमुख मईर डेगान ने भी नेतेन्याहू और एहुद बाराक को बताया कि ईरान के खिलाफ सैन्य कार्यवाही मूखर्ता है और इस से अब तक ईरान के खिलाफ सभी खुफिया अभियानों का प्रभाव खत्म हो जाएगा।
इस्राईल के तत्कालीन चीफ आफ आर्मी स्टाफ जनरल गेबी एश्कनाज़ी के त्याग पत्र के बाद ” बेनी गेन्टेज़” ने यह पद संभाला लेकिन ईरान पर हमले के वह भी विरोधी थे।
सन 2010 में वाइट हाउस ने फैसला किया कि अमरीका ईरान पर हमले में शामिल नहीं होगा। अगर इस्राईल इस प्रकार का कोई हमला करता है तो अमरीका उसकी मदद नहीं करेगा लेकिन इस्राईल को हमले से रोकेगा का भी नहीं। यह सन 2010 की बात है।