उपद्रवियों को कैसे घुसने दिया गया, कहाँ है पुलिस प्रशासन उपद्रवी कैसे अंदर घुसे ?
देश के अंदर उपद्रवियों का राज, पहले गण्तंत्र दिवस पर उपद्रव, किसान आंदोलन को ध्वस्त करने के लिये इतना घिनौना कृत, किसान नेताओं के ऊपर देशद्रोह के मुकदमे दर्ज, किसान नेताओं को उठाने के लिये हाजारों की तादाद में फोर्स की तैनाती और पुलिस के नांक के नीचे 150 सौ से 200 सौ उपद्रवियों का कोहराम आखिर क्या है ?
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क्या किसान नेता राकेस टिकैत का आरोप सच सावित हुआ कि बीजेपी नेता गुंडो के जरिये किसानों को मारने की साजिश कर रहे है, पुलिस उन पर कार्यवाही करने से बच रही है, आखिर ये गुण्डे है किसके ? पुलिस इन उपद्रवियों के ऊपर कार्यवाही करने से क्यों घबरा रही है ?
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ये किसके इसारे पर सब किया जा रहा है, देश क्या ऐसे ही गुंडो के जरिये चलेगा ? अखिर पुलिस अपने छिपा कर वहाँ पर उपद्रवियो को रोके हुये क्यों है ?
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क्या पुलिस ने उनकी पहचान करने के बाद उन्हे अंदर छोडा ? ये जो उपद्रवी नारे लगा रहे हैं कि “तिरंगे का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान” क्या इस तरह की नारे बाजी करने वालों को पहले रोका जाना उचित नहीं समझ रही थी ? जो 40 पंचायत के फरमान का हवाला दिया जा रहा था तो क्या पुलिस को उसकी असलियत की पुख्ता जानकारी थी कि नहीं ? क्या उन्हे किंचित एहशास नही था कि इनके आमने सामने आने पर आपसी संघर्ष भी हो सकता है ? माना उन्हे भी अभिव्यक्ति की आजादी के तहत अवसर दिया गया तो उसकी सावघानी क्योंकर पुलिस के अधिकारियों ने उचित समझा कि उन्हे कुछ दूरी बनाये रखने के एतिहातन कदम उठाये जाने में चूक हुई ?
क्या ये वाकई में क्षेत्रीय जनता थी इसकी पुष्टी की थी पुलिस ने उन्हे अंदर आने से पहले ? जब मीडिया कर्मियों को भी बिना पहचान पत्र के अंदर नहीं छोडा जा रहा हो तो इतनी तादाद में गुंडे अंदर कैसे घुस आये ? जो पुलिस की उपस्थिती में हिंसा पर उतारू हो गये क्या पुलिस ने इनके साक्ष एकत्र कर लिये हैं क्या अब इन पर कार्यवाही संभव है ? क्या उन तथा कथित क्षेत्रीय जनता की सही पहचान कर और 40 पंचायतों फरमान की हक़ीकत क्या देश की जनता के सामने लाया जायेगा ?