-रवि जी. निगम
अभिव्यक्ति की आजादी पर महिला अधिकारी के सामाने महिला पत्रकार पर जबरदस्त हमला…
आज 2 ऑक्टोबर गांधी जयंती है, बहुत रोई होगी बापू की आत्मा !! हाथरस गैंगरेप बडी शर्मशार करने वाली घटना ऐसे ही नहीं कही जा रही, प्रशासन कर रहा गलती पे गलती ? समय रहते एसआईटी जांच करती और सरकार समय रहते पीडित व पीडित के परिवार साथ खडी होती और मुख्यमंत्री संज्ञान लेलेते तो क्या आज उस पीडिता को मरने से बचाया नहीं जा सकता था ? तो क्या रातों-रात उसे फूंकने की जरूरत पडती ? तो क्या शासन/प्रशासन को इतना शर्मिंदगी उठानी पडती ?
और रही बात एसआईटी जांच की तो वो पीडित परिवार के घर पर कितने घन्टो या दिनों तक जांच करती रहेगी वो भी सिर्फ पीडित के मात्र घर पर, क्या एसआईटी को पीडित के घर से ही सारे सबूत मिलेंगे ? क्या आरोपियों और घटना स्थल की जांच जरूरी नहीं ? क्या वहाँ से सबूत पीडित परिवार जुटायेगा ? डॉक्टर आदि के बयान और अन्य के बयान आदि भी पीडित परिवार के घर पे ही मिलेंगे ?
लेकिन एसआईटी जांच के नाम पर पत्रकारों को पीडित परिवार से क्यों नहीं मिलने दिया जा रहा है, खबरों के मुताबिक महिला पत्रकार को पीटा गया ?