अब मालदीव का आर्थिक संकट (Maldives Debt crisis) नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मालदीव को चेतावनी दी है कि वह नोटों की छपाई कर अपना खर्च न चलाए। आईएमएफ ने मालदीव सरकार से कहा है कि वह अपनी मौद्रिक नीति को सख्त बनाए, ताकि उसकी मुद्रा की कीमत में अंधाधुंध गिरावट को रोका जा सके। साथ ही मालदीव को भुगतान संतुलन संबंधी घाटे पर काबू पाने को भी कहा गया है।
मालदीव में वहां का सरकारी संस्थान- मालदीव मॉनेटरी ऑथरिटी (एमएमए) मुद्रा विनिमय दर को तय करता है। आईएमएफ ने अब एक बयान में कहा है- ‘आईएमएफ के निदेशकों ने एमएमए को सलाह दी है कि विदेशी मुद्रा भंडार और मुद्रा की कीमत पर बढ़ रहे दबावों को दूर करने के कदम उसे उठाने चाहिए। अगर मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो एमएमए को मौद्रिक नीति को सख्त बनाने की तैयारी दिखानी चाहिए।’ मौद्रिक नीति को सख्त बनाने का मतलब ब्याज दरों में बढ़ोतरी से है।
विशेषज्ञों के मुताबिक मालदीव के प्रति आईएमएफ का रुख अभी तक श्रीलंका की तुलना में उदार है। आईएमएफ ने श्रीलंका को अपनी मुद्रा की कीमत गिराने की सलाह दी थी। लेकिन उसने अभी एमएमए को डॉलर की तुलना में मालदीव की मुद्रा की कीमत को तय करने की अनुमति दे रखी है।
एमएमए के अधिकारियों ने मीडियाकर्मियों को बताया कि मौजूदा मौद्रिक नीति ढांचे के तहत वह डॉलर के मुकाबले मालदीव की मुद्रा की कीमत तय करता है। इसका मकसद बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत को स्थिर बनाए रखना है। एमएमए जो लक्ष्य तय करता है कि उसे पूरा करने के लिए बैंकिंग सिस्टम में नकदी की उचित उपलब्धता बनाए रखी जाती है। मकसद यह होता है कि देश के अंदर आर्थिक गतिविधियों को चलाने के लिए नकदी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहे। अब आईएमएफ ने इसी चलन पर रोक लगाने को कहा है।
कई अन्य देशों की तरह मालदीव सरकार की भी इस समय आईएमएफ से वार्ता चल रही है। हाल में मालदीव की अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है। साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार भी तेजी से घटा है। कोरोना वायरस महामारी का मालदीव पर बहुत बुरा असर पड़ा। श्रीलंका की तरह की मालदीव की अर्थव्यवस्था में भी पर्यटन का बड़ा योगदान है। कोरोना महामारी के दिनों पर्यटन उद्योग लगभग ठप हो गया था। नतीजतन 2020 में मालदीव के सकल घरेलू उत्पाद में 33.5 फीसदी की गिरावट आई थी। लेकिन उसी अनुपात में मालदीव की मुद्रा रुफिया में गिरावट नहीं आई। इसकी वजह यह थी कि डॉलर के मुकाबले रुफिया की कीमत एमएमए तय करता है। यानी यह सीधे बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होता।
मालदीव सरकार को उम्मीद है कि इस वर्ष उसकी अर्थव्यवस्था में ऊंची वृद्धि दर दर्ज होगी। लेकिन उससे विदेशी मुद्रा का संकट दूर नहीं होगा। 2021 में मालदीव में जीडीपी की ऊंची वृद्धि दर दर्ज हुई थी। लेकिन उसका विदेशी मुद्रा भंडार गिर कर साढ़े 98 करोड़ डॉलर ही रह गया था। आशंका है कि इस वर्ष विदेशी मुद्रा भंडार गिर कर साढ़े 69 करोड़ डॉलर ही रह जाएगा। इसी आशंका के कारण मालदीव सरकार आईएमएफ के पास गई है। आईएमएफ ने चेताया है कि मालदीव पर कर्ज संकट में फंसने का खतरा मंडरा रहा है।