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कर्नाटक में कॉलेजों में हिजाब पर पाबंदी के बाद, एक दर्जन से ज़्यादा मुस्लिम कॉलेज खोलने के आये आवेदन

कर्नाटक में कुछ मुस्लिम संगठनों ने दर्जन भर से ज़्यादा निजी कॉलेज खोलने के आवेदन दिए हैं। इन संगठनों का कहना है कि यह वह कॉलेज होंगे जहां मुस्लिम छात्राओं के लिए हिजाब पर प्रतिबंध नहीं होगा।

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ग़ौरतलब है कि कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने सरकारी कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है। भारतीय सुप्रीम कोर्ट भी इस प्रतिबंध को वापस लेने की अर्ज़ी ख़ारिज कर चुका है। ऐसी स्थिति में मुसलमानों के पास सिर्फ़ एक ही विकल्प बचा है कि वे ज़्यादा से ज़्यादा अपने निजी कॉलेज खोलें, जहां बच्चे पूरी आज़ादी से तालीम हासिल कर सकें।

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2014 में जबसे दिल्ली में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी है, देश में हर चीज़ को धर्म और संप्रदाय के आधार पर बांटा जा रहा है, शिक्षा संस्थान भी इससे अछूते  नहीं हैं। यहां तक कि मॉल, दुकानों, होटलों और रेस्त्रानों तक के बीच धर्म की लकीर खींची जा रही है।

विश्लेषकों का मानना है कि देश में हर चीज़ को धर्म के आधार पर बांटने वाले यह वही नादान राष्ट्रवादी हैं, जो 1947 में देश के बंटवारे पर सीना पीटते नहीं थकते, लेकिन एक बार फिर देश को उसी दिशा में धकेल रहे हैं।

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इससे पहले की बहुत देर हो जाए, कम से कम अब यह विचार करना होगा कि लोकतंत्र सिर्फ़ वोट बटोरने और कुर्सियां हथियाने का मंत्र बनकर न रह जाए। थोपी हुई नैतिकता के ज़रिए मुसलमानों को अलग-थलग करने और संप्रदायों को सत्ता की अलग-अलग खूंटियों से बांधने का पाप न किया जाए

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