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Thursday, May 2, 2024

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कश्मीर में केन्द्र की नीति हुई बुरी तरह फ़ेल, भाग रहे हैं कश्मीर छोड़कर लोग…

भारत नियंत्रित कश्मीर के संभागीय आयुक्त ने शनिवार को कश्मीर के सभी 10 ज़िलों के उपायुक्तों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि कोई भी प्रवासी कर्मचारी घाटी छोड़कर नहीं जाए। ऐसा करने पर उसके ख़िलाफ़ सेवा नियमों के तहत कार्यवाही की जाएगी।

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कुछ उपायुक्तों ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर कहा कि वे किसी तरह की कार्यवाही करने से पहले सरकारी आदेश का इंतेज़ार करेंगे।

पिछले सप्ताह अलगाववादी छापामारों द्वारा एक सिख स्कूल प्रिंसिपल और कश्मीरी शिक्षक की मौत के बाद घाटी छोड़ चुके कर्मचारी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन असंवेदनशील हो रहा था।

जम्मू वापसी करने वाले लोग अभी भी घाटी में काम पर लौटने को लेकर सतर्क हैं, वहीं कुछ ने फ़िलहाल यहां नहीं आने का फ़ैसला किया है।

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प्रधानमंत्री पैकेज के तहत रोज़गार पाने वाले एक अन्य अल्पसंख्यक सदस्य ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि बेशक यह आदेश अच्छी मंशा से जारी किया गया है लेकिन कई कर्मचारी दक्षिण कश्मीर में अपने-अपने किराए के मकान में रह रहे हैं। यह अब स्पष्ट नहीं है कि उन्हें सुरक्षा कैसी दी जाएगी।

कश्मीर के संभागीय आयुक्त पांडुरंग पोल द्वारा शनिवार को बुलाई गई बैठक में घाटी के ज़िलों के डीसी और एसपी के साथ कई मुद्दों पर चर्चा की गई।

इस दौरान सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा की गई और जिन लोगों को सुरक्षा दी गई है, उनके लिए सरकारी आवास की पहचान की गई।

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कश्मीर के संभागीय आयुक्त के अध्यक्ष ने निर्देश दिया कि सभी उपायुक्त और एसएसपी दो-तीन दिनों के भीतर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, नेताओं से बैठक करेंगे ताकि सुरक्षा, आवास आदि को लेकर उनकी आशंकाओं का समाधान किया जा सके और उनकी वास्तविक मांगों पर विचार किया जा सके।

संभागीय आयुक्त ने ज़िलों में गैर प्रवासी अल्पसंख्यक आबादी, मज़दूरों, कुशल मजदूरों आदि की पहचान और उनसे नियमित बातचीत के साथ उनके लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल प्रवासी मजदूरों को दूर-दराज और संवेदनशील इलाकों में तैनात करने के बजाय सुरक्षित क्षेत्रों में तैनात किया जाए।

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