Home अर्थ - व्यापार कैसा होगा कोरोना की मारखायी अर्थव्यस्था का पहला केंद्रीय बजट, निराश व्यापारियों की नजर बजट पर टिकी

कैसा होगा कोरोना की मारखायी अर्थव्यस्था का पहला केंद्रीय बजट, निराश व्यापारियों की नजर बजट पर टिकी

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कैसा होगा कोरोना की मारखायी अर्थव्यस्था का पहला केंद्रीय बजट, निराश व्यापारियों की नजर बजट पर टिकी
Niramla Sitharaman , निर्मला सीतारमन

केंद्रीय बजट से व्यापारियों को काफी उम्मीदें

केंद्रीय बजट से व्यापारियों को काफी उम्मीदें हैं. कोरोना लॉकडाउन के दौरान विभिन्न आर्थिक पैकजों में व्यापारियों को कोई भी आवंटन न होने से निराश व्यापारियों की नजर बजट पर टिकी है. कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने कहा है कि सरकार अपनी आय बढ़ाने के लिए संभवत कुछ टैक्स की घोषणा कर सकती है लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि टैक्स कहां लगेगा और उसका व्यापार एवं उद्योग पर क्या प्रभाव पड़ेगा. कैट ने जोर दिया है कि केंद्रीय बजट में एक नेशनल ट्रेड पॉलिसी फॉर रिटेल ट्रेड, ई कॉमर्स पॉलिसी एवं एक ईकॉमर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन और एक वॉलेंटरी डिस्क्लोजर स्कीम (VDS) भी घोषित होनी जरूरी है.

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लेकिन वीडीएस के अंतर्गत घोषित करने वालों से कोई पूछताछ न होने का आश्वासन भी देना जरूरी है, जिससे कि कथित रूप से छिपे हुए कारोबार को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके. बता दें, देश में लगभग 8.5 करोड़ व्यापारी हैं जो सालाना 80 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार करते हैं और लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं.

CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि मौजूदा समय में व्यापारी वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं. व्यापारियों को उम्मीद है कि केंद्रीय बजट में व्यापारियों को बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से सस्ता व आसान लोन मिले, इसकी नीति केंद्रीय बजट में अवश्य घोषित होगी. वहीं, कॉरपोरेट सेक्टर पर जिस प्रकार से आय कर की उच्चतम सीमा 25% है, व्यापारियों पर भी यह लागू होने का एलान भी बजट में होना चाहिए.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल पर वोकल तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए देश के व्यापारियों, कारीगरों, हस्तशिल्पी एवं देश की प्राचीन कला का काम करने वाले लोगों को इस अभियान से जुड़ने के लिए एक व्यापक योजना बजट में घोषित होनी चाहिए. महिला उद्यमियों के बढ़ावा देने के लिए भी बजट में एक विशेष प्रावधान की उम्मीद व्यापारी लगाए बैठें है.

खंडेलवाल ने उम्मीद जताई है कि जीएसटी प्रणाली के सरलीकरण की नीति भी बजट में आनी चाहिए. वही, दूसरी ओर व्यापारियों पर लगे सभी प्रकार के कानूनों की समीक्षा के लिए एक टास्क फोर्स के गठन की घोषणा भी केंद्रीय बजट का हिस्सा हो सकती है. देश में घरेलू व्यापार पर लगे लगभग 28 तरह के लाइसेंस के स्थान पर आधार की तरह केवल एक लाइसेंस लागू करने की घोषणा भी बजट में होनी चाहिए. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए भी एक व्यापक योजना बजट का हिस्सा हो सकती है.

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खंडेलवाल ने कहा कि सरकार की ओर से सभी विभागों को ई-सिस्टम से जोड़ चुकी है, इस लिहाज से सभी टै​क्स एवं अन्य कानूनों की समय पर पालना के लिए जरूरी है की व्यापारियों को भी कम्प्यूटरीकृत प्रणाली से जोड़ा जाए. इस तरह व्यापारियों को कंप्यूटर एवं उससे सम्बंधित सामन खरीदने पर सरकार की ओर से सहायता देने का प्रावधान भी बजट की एक उम्मीद है.

वहीं, देश के रिटेल व्यापार के वर्तमान स्वरूप के आधुनिकीकरण के लिए भी सरकार की कोई सहायता योजना समय की मांग है. उन्होंने यह भी कहा की डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए बैंकों द्वारा लगाए जाने वाले चार्ज को एक सब्सिडी के माध्यम से सरकार सीधे बैंकों को देने की नीतिगत घोषणा भी बजट का हिस्सा बननी चाहिए. देश के निर्यात व्यापार को ज्यादा से ज्यादा आगे बढ़ाने के लिए व्यापारियों एवं अन्य लोगों को प्रोत्साहित करने की योजना भी बजट में घोषित होनी जरूरी है.

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