Home बड़ी खबर बीजेपी शासित राज्य MP में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के शिकार हुये किसान, तो हुज़ूर देश के किसानों का क्या होगा, ये बानगी है कानून की ?

बीजेपी शासित राज्य MP में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के शिकार हुये किसान, तो हुज़ूर देश के किसानों का क्या होगा, ये बानगी है कानून की ?

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बीजेपी शासित राज्य MP में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के शिकार हुये किसान, तो हुज़ूर देश के किसानों का क्या होगा, ये बानगी है कानून की ?
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अधिक लाभ का लालच ? लुटते किसान...

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अधिक लाभ का लालच ? लुटते किसान…

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भोपाल: कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नए कृषि कानून के विरोध में देश के कई राज्यों के किसान दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं, वहीं,सरकार का कहना है कि कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग से किसानों की आय बढ़ेगी। इस बहस के बीच मध्य प्रदेश के बैतूल में कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग करने आई कंपनी ने 200 भोले-भाले किसानों को अपना शिकार बना लिया।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग – इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक कंपनी ने किसान को अधिक लाभ का लालच दिया और 2018 में सहजन की खेती के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया। अब किसानों को धोखा देकर कंपनी भाग गई और किसानों को केस तक दर्ज कराने में संघर्ष करना पड़ रहा है।

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केस तक नहीं हुआ दर्ज
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के सैकड़ों किसानों ने अपनी समस्या को सुनाते हुए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को किसानों के साथ धोखा करार दिया है। किसानों का कहना है कि कोई कंपनी एक साथ सैकड़ों किसानों को धोखा देकर इतना आसानी से चली गई और केस तक नहीं दर्ज हुआ। किसानों का कहना है कि वह कई माह से कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग क्या है मामला
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के ग्राम भैसदेही गांव में पांच एकड़ जमीन के मालिक 30 वर्षीय नदीम खान के अनुसार, कंपनी की पहचान UWEGO Agri Solutions Private Limited के रूप में की गई थी, जिसे राज्य सरकार के बागवानी विभाग द्वारा किसानों के बीच लाया गया था। किसान ने कहा कि मैंने राज्य सरकार के बागवानी विभाग की सिफारिशों पर भरोसा करके सितंबर 2018 में एक प्राइवेट कंपनी के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किया था।

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अनुबंध के अनुसार, मुझे हस्ताक्षर के समय प्रति एकड़ 20,000 रुपये का भुगतान करना था। मैंने अपनी दो एकड़ जमीन का पंजीकरण कराया और 40,000 रुपये जमा किए थे। कंपनी ने दावा किया था वह हमें शुरू में बीज या पौधे और तकनीकी ज्ञान प्रदान करेगा और उपज होने के बाद फसल भी कंपनी ही खरीदकर ले जाएगी। किसान का कहना है कि पैसा जमा करने के बाद उसे पौधे ही नहीं दिए गए और 17 सितंबर, 2019 को पहली बार किसान ने जिला कलेक्टर को मामले की सूचना दी। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई और इसके बाद किसानों ने कई शिकायतें की हैं लेकिन कुछ भी नहीं हुआ है।

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