आम जनता से कुछ सवाल ?
१- जब किसी दबंग द्वारा आपका हनन किया जाता है तब क्या आपको एक पत्रकार की जरूरत नहीं पड़ती ?
२ – जब प्रशासन के किसी कर्मचारी द्वारा आप परेशान किये जाते हैं तब क्या आपको एक पत्रकार की जरूरत नहीं पड़ती ?
३ – जब आप अपनी बात प्रशासन तक पहुंचना चाहते हैं तब क्या आपको एक पत्रकार की जरूरत नहीं पड़ती ?
४ – जब कोई लेखपाल, कोटेदार, प्रधान या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा आपका हक छीनने की कोशिश की जाती है तब क्या आपको एक पत्रकार की जरूरत नहीं पड़ती ?
५ – जब आप किसी राजनेता, अधिकारी के साथ किसी विशेष कार्यक्रम को करते हैं तब क्या आपको एक पत्रकार की जरूरत नहीं पड़ती ?
६ – जब आपको समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर भगाने की चिंता होती है तब क्या आपको एक पत्रकार की जरूरत नहीं पड़ती ?
७ – जब आप अपने बच्चे को स्कूल भेजते हैं और वहां उसे अध्यापक या किसी अन्य बच्चे द्वारा मानसिक यातनाएं दी जाती हैं तब क्या आपको एक पत्रकार की जरूरत नहीं पड़ती ?
८ – जब आप खेती करते हैं तो किसी कारणवश आपकी फसल का नुकसान हो जाता है तब आपको अपनी बात प्रशासन तक पहुंचाने के लिए क्या आपको एक पत्रकार की जरूरत नहीं पड़ती ?
९ – जब आपको घर बैठे बैठे पूरे विश्व में क्या हो रहा है ये जानने के लिए एक पत्रकार की जरूरत नहीं पड़ती ?
१० – जब आपको किसी भी सरकारी योजना का फायदा नहीं मिल पाता तब आपको अपने बात रखने के लिए एक पत्रकार की जरूरत नहीं पड़ती ?
इन सवालों के जबाब स्वयं को दीजिये और फिर पत्रकारों के विषय में कुछ उल्टा सीधा कहने के बारे में सोचिए । हम ये नहीं कहते कि हम अच्छे हैं लेकिन सब के सब गलत नहीं होते। हाँ ऐसा संभव हो सकता है कुछ मीडिया हाऊस से जुड़े लोगों की मजबूरी होती होगी क्योंकि मोटी सेलरी के लिये उन्हे पत्रकारिता को ताख पर रखना पड़ता होगा ।
लेकिन एक बिना सेलरी के काम करने वाला व्यक्ति जो पत्रकारिता को एक समाज सेवाभाव और निष्पक्ष, निडरता व नि:स्वार्थ भाव के साथ आपको पूरा दिन और कभी कभी तो पूरी रात जागकर, तंगहाल जिन्दगी बसर करते हुये, कभी धूप तो कभी बरसात में अपनी बाईक चलाकर अपनी मेहनत की कमाई से पेट्रोल जला कर व अन्य कई खर्च कर दुनियाँ की खबरों से आपको रूबरू कराता है, ताकि आप तक दुनियाँ की सच्चाई पहुँचाई जा सके, तो उसका थोड़ा सा सम्मान तो होना चाहिए ।
– मानवाधिकार अभिव्यक्ति