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Saturday, May 4, 2024

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क्या बिन सलमान सऊदी ख़ानदान के आख़िरी बादशाह होंगे ? सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर हमला, बिन सलमान के ताबूत पर आख़िरी कील …

रिपोर्ट – सज्जाद अली नायाणी

14 सितम्बर को सऊदी अरब की दो बड़ी आयल फ़ील्ड पर हमले हुए, यमन के अलहूसियों ने हमलों की ज़िम्मेदारी स्वीकार की किन्तु अजीब बात है कि हमलों की ज़िम्मेदारी लेने वालों को झूठा कहा जा रहा है और आरोप किसी तीसरे पक्ष पर लगाया जा रहा है। आरोप लगाने वाले सीधे नाम भी नहीं लेते और कहते हैं कि ऐसा हमला अंसारुल्लाह के बस की बात नहीं, कोई और लिप्त है।

विदेश – बक़ीक़ और ख़ुरैस में सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर हमलों के चार दिन बाद सऊदी अरब सबूत सामने आया और सऊदी अरब के रक्षामंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल तुर्की अलमालेकी ने कहा कि ईरानी डेल्टा ने क्रूज़ ड्रोन और क्रूज़ मीज़ाइलों से हमले किए।

दर अस्ल हुआ यूं कि सऊदियों ने जो बोया था उसे काटने का समय आ गया, सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर हमले इराक़ के दक्षिणी क्षेत्र से कुवैती वायु सीमा को चीरते हुए किए गये। तुर्की अलमालेकी ने अपनी प्रेस कांफ़्रेंस में जो वीडियोज़ पेश नहीं कीं वह अरब जगत में सोशल मीडिया पर वायरल हैं और तेल प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों और उनके ज़िम्मेदारों का पता भी पता रही हैं।

कुछ पश्चिमी मीडिया यह बात ही कह रही है कि सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर हमलों के लिए ईरान ने इराक़ में स्वयं सेवी बल हश्दुश्शाबी को प्रयोग किया और ईरान की ओर से यह जवाबी कार्यवाही थी।

अगस्त में इस्राईल ने कुर्द क्षेत्र से दक्षिणी इराक़ में इराक़ी स्वयं सेवी बलों को ड्रोन द्वारा निशाना बनाया। हश्दुश्शाबी के असलहे डिपो, अड्डे और ग्रुप के एक कारवां पर ड्रोन हमले किए गये। इस ड्रोन हमले में इस्राईल को सऊदी अरब की सहायता और फ़ंडिंग हासिल थी। इस ड्रोन हमले पर इराक़ में काफ़ी हंगामा मचा और इराक़ी प्रधानमंत्री पर दबाव पड़ा कि वह इस्राईल का नाम लें किन्तु उन्होंने दबाव सहन किया और अमरीकियों को संदेश दिया कि युद्ध से तबाह इराक़ अब किसी प्राक्सी युद्ध को सहन नहीं कर सकता, यही संदेश सऊदी अरब को भी दिया गया किन्तु दोनों ने इराक़ी प्रधानमंत्री की बात पर कान न धरे।

ईरान ने सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर हमले इसी इराक़ी ग्रुप से कराए और दो स्पष्ट संदेश दिए।

पहला संदेश अमरीका और घटकों के लिए था कि जब तक ईरान का परिवेष्टन ख़त्म नहीं होता क्षेत्र में स्थिरता संभव नहीं।

दूसरा संदेश ज़्यादा सख़्त और स्पष्ट था कि ईरान किसी भी हमले का जवाब उससे ज़्यादा शक्ति से देगा और यह संदेश सऊदी अरब तक पहुंच गया है।

दक्षिणी इराक़ से उड़ने वाले ड्रोन और दाग़े गये मीज़ाइल कुवैत की वायु सीमा में न केवल देखे गये बल्कि कुछ लोगों ने वीडियोज़ भी बनाईं जो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं और कुवैती प्रधानमंत्री के कार्यालय से प्रतिक्रिया भी जारी करना पड़ी। कुवैती प्रधानमंत्री ने इन अज्ञात उड़ते हुए खिलौनों की जांच के साथ देश के प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को और भी सख़्त करने का आदेश भी दिया।

इराक़ी प्रधानमंत्री आदिल अब्दुल महदी ने अपनी धरती से सऊदी तेल के प्रतिष्ठानों पर हमले का कड़ाई से खंडन किया है और धमकी दी है कि जो कोई भी इराक़ी धरती को प्राक्सी वार के लिए प्रयोग करने का प्रयास करेगा उससे कड़ाई से निपटा जाएगा। इराक़ी प्रधानमंत्री की धमकी वास्तव में अमरीकी विदेशमंत्री के लिए संदेश था जो उन तक पहुंच गया होगा।

कई महीने पहले अमरीका ने इराक़ी प्रधानमंत्री के सामने सुझाव दिया था कि वह दक्षिणी इराक़ में ईरान समर्थित स्वयं सेवी बलों पर बमबारी करना चाहता है। इराक़ी प्रधानमंत्री आदिल अब्दुल महदी ने अमरीकी विदेशमंत्री को उस समय भी इस योजना से पीछे हटने को कहा था। इराक़ी प्रधानमंत्री की ओर से सुझाव रद्द होने पर यह काम इस्राईल को सौंपा गया था और फिर आदिल अब्दुल महदी ने इस्राईल के ड्रोन हमले के बाद तेल अवीव का नाम नहीं लिया था और अब वह सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर हमले के बाद खंडन कर रहे हैं और अमरीकी उन्हें मजबूर नहीं कर सकते कि वह ईरान समर्थित गुटों का नाम लें और यह कहें कि हमले दक्षिणी इराक़ से किए गये क्योंकि इराक़ी प्रधानमंत्री का यह तर्क है कि हज़ारों अमरीकी सैनिक इराक़ में मौजूद हैं और उनकी उपस्थिति में अमरीकी घटक इस्राईल इराक़ की धरती पर ड्रोन हमले कर रहा है क्या यह बात जनता के सामने रखी जा सकती है? क्या अमरीका वर्षों से तबाही के शिकार इराक़ को युद्ध में ग्रस्त रखना चाहता है?

पहले खाड़ी युद्ध और दूसरे इराक़ युद्ध में भी सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर इस प्रकार का कोई हमला नहीं हुआ था कि उसे आधी पैदावार रोकना पड़ती। हालात अब पूरी तरह बदल चुके हैं। ईरान ने सीरिया, इराक़, यमन और लेबनान सहित मध्यपूर्व में प्राक्सी वार के लिए घटक बना लिए हैं जबकि सऊदी क्राउन प्रिंस बिन सलमान की सरकार ने समस्त घटक गंवा दिए हैं और वह अपनी रक्षा करने के योग्य भी नहीं रहा। ईरान ने प्राक्सी वार के लिए अरब धरती पर गुटों के अतिरिक्त तुर्की, रूस और क़तर की सूरत में घटक भी बनाए हैं जो उसके साथ खड़े हैं।

सऊदी क्राउन प्रिंस ने संयुक्त अरब इमारात के क्राउन प्रिंस बिन ज़ाएद के इशारों पर चलकर सऊदी अरब को बहुत नुक़सान पहुंचाया है और कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि यदि मुहम्मद बिन सलमान प्रिंस बने तो यह सऊदी परिवार के आख़िरी बादशाह हो सकते हैं।

सऊदी अरब को डर है कि कोई भी सैन्य कार्यवाही उसके तेल प्रतिष्ठानों को और भी असुरक्षित बना देगी। अमरीकी राष्ट्रपति भी युद्ध के पक्ष में नहीं हैं बल्कि 2016 की भांति दूसरी अवधि के चुनाव में भी उनका नारा “अमरीका सबसे पहले” ही है।

इसका मतलब है कि अमरीका, इराक़ और अफ़ग़ान युद्ध की समाप्ति चाहता है और किसी नये युद्ध में उलझने को तैयार नहीं। ईरान ने मध्यपूर्व में तेल को हथियार बना दिया है। ईरान किसी भी सैन्य कार्यवाही की स्थिति में तेल प्रतिष्ठानों और समुद्री रास्तों पर तेल टैंकरों को निशाना बनाएगा जो अमरीका सहित किसी भी विकसित युद्ध की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा ख़तरा है।

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