रिपोर्ट – सज्जाद अली नायने
मंगलवार सूडान में सराकर विरोधी प्रदर्शनों का सातवां दिन था। इस अफ़्रीक़ी देश में रोटी और ईंधन के मूल्यों में भारी वृद्धि से नाराज़ लोग सड़कों पर निकल आए हैं।
यह प्रदर्शन 19 दिसम्बर को अतबरा शहर से शुरू हुए थे जो एक हफ़्ते से भी कम समय में राजधानी ख़रतूम समेत पूरे देश में फैल गए।
सूडान पुलिस इन विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के लिए अत्यधिक शक्ति का प्रयोग खुलकर कर रही है। लेकिन इसके बावजूद, जनता अपने अधिकारों की मांगों से पीछे हटने का नाम नहीं ले रही है।
इन प्रदर्शनों में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है, हालांकि विपक्षी पार्टियों का कहना है कि मरने वालों की संख्या इससे कहीं अधिक है।
एमनेस्टी इंटरनेश्नल ने सूडानी सरकार से कहा है कि गिरफ़्तार किए गए प्रदर्शनकारियों को तुरंत रिहा किया जाए और लोगों के अधिकारों का सम्मान करते हुए इंटरनेट सेवाओं को बहाल किया जाए।
वर्तमान विरोध प्रदर्शनों का मुख्य कारण, पाव रोटी की क़ीमत एक सूडानी पाउंड से सीधे 3 पाउंड होना है।
हालांकि जनता में सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार को लेकर इससे पहले से ही ग़ुस्सा था।
सूडानी सरकार ने सऊदी अरब से पैसे लेकर अपने हज़ारों सैनिक लड़ने के लिए यमन युद्ध में भी झोंक दिए हैं, इसे लेकर भी जनता में भारी रोष है।