पाकिस्तान ने शुक्रवार को गुलामी के दिनों के एक कानून का आज खत्म कर दिया। पाकिस्तान की संसद ने आपराधिक कानून में संशोधन कर खुदकुशी का प्रयास करने पर दी जाने वाली सजा व जुर्माने का प्रावधान खत्म कर दिया।
पाकिस्तान की संसद ने आत्महत्या के प्रयासों को दंडित करने के बारे में पाकिस्तान दंड संहिता, 1860 की धारा 325 को निरस्त कर दिया। इस धारा के तहत आत्महत्या या आत्महत्या के प्रयास पर एक वर्ष के कारावास, जुर्माना या दोनों का प्रावधान था। इसमें कहा गया था कि जो भी आत्महत्या का प्रयास करता है और इस तरह के अपराध को करने के लिए कोई कार्य करता है, उसे साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा
पाकिस्तान के राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने आपराधिक कानून संशोधन विधेयक 2022 पर दस्तखत कर दिए। इसके साथ ही आत्महत्या के प्रयास पर सजा का प्रावधान खत्म हो गया है। इस कानून में संशोधन का प्रस्ताव पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) ने रखा था। इसी साल मई में पाकिस्तानी सीनेट ने इसे मंजूरी दे दी थी।
संशोधन के उद्देश्य के अनुसार आत्महत्या या इसके प्रयास को एक बीमारी के रूप में देखा जाना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में पाकिस्तान में आत्महत्या की अनुमानित दर प्रति एक लाख लोगों पर 8.9 थी। देश में 2019 में लगभग 19,331 लोगों ने खुदकुशी की थी।
माना जाता है कि पाकिस्तान में खुदकुशी करने वालों की असल संख्या बहुत अधिक होनी चाहिए, क्योंकि पुलिस जांच से बचने के लिए बहुत से मामलों की एफआईआर ही नहीं कराई जाती है। इसे अपराध नहीं मानने से अब आत्महत्याओं की सही तस्वीर सामने आ सकती है।