रिपोर्ट – राकेश साहू
दिल्ली – चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद संपत्ति विवाद, राफेल विमान घोटाले में शीर्ष अदालत के निर्णय के लिए दाखिल पुनर्विचार याचिका, सबरीमाला मंदिर जैसे चर्चित मामले लंबित हैं। हालांकि, इन सभी मसलों को निस्तारित करने के लिए चीफ जस्टिस को अपने 19 दिन के शेष कार्यकाल में अवकाश आदि औपचारिकताओं के चलते महज आठ दिन का ही समय मिलेगा। दरअसल शीर्ष अदालत में इस समय दीवाली का अवकाश चल रहा है, जो तीन नवंबर को खत्म होगा। सुप्रीम कोर्ट में चार नवंबर को दोबारा कामकाज शुरू होने के बाद 11 और 12 को फिर से सरकारी अवकाश हैं, जबकि बीच में शनिवार-रविवार के भी अवकाश रहेंगे।
इस तरह से देखा जाए तो 17 नवंबर को चीफ जस्टिस गोगोई के सेवानिवृत्ति समारोह से पहले उन्हें महज आठ कार्य दिवस ही लंबित मामलों के निस्तारण के लिए मिल रहे हैं। इन आठ कार्यदिवस में चीफ जस्टिस के सामने सबसे अहम चुनौती अयोध्या विवाद में सुरक्षित रखा गया फैसला सुनाने का है। इस राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील मुद्दे में 40 दिन की लगातार मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्तूबर को शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था।
इस मामले में 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से सुनाए गए उस फैसले के खिलाफ 14 अपील शीर्ष अदालत में दाखिल की गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच बराबर बांट दिया था। इस मुद्दे पर सभी पक्षों को संतुष्ट करने वाला फैसला सुनाने के लिए ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने उनकी सेवानिवृत्ति से एक महीना पहले सुनवाई पूरा हो जाने की घोषणा की थी।
कुछ अहम मुद्दे – पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘चौकीदार चोर है’ नारे में गलत तरीके से शीर्ष अदालत के निर्णय का इस्तेमाल करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ दाखिल याचिका पर देना है निर्णय।
- केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश दिए जाने के शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा के लिए दाखिल याचिकाओं पर पांच सदस्यीय संविधान पीठ को करना है विचार।
- दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से दिया गया सीजेआई ऑफिस को सूचना अधिकार कानून के दायरे में लाने के आदेश के खिलाफ 2010 में सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल व सेंट्रल पब्लिक इंफार्मेशन ऑफिसर की तरफ से दाखिल तीन याचिकाओं पर चार अप्रैल को सुरक्षित रखे गए निर्णय को सुनाना।
- राफेल मामले में 14 दिसंबर को शीर्ष अदालत में सुनाए गए निर्णय की समीक्षा की मांग के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा व अरुण शौरी समेत कई अन्य लोगों की तरफ से दाखिल याचिका पर लेना है निर्णय।