भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग पर विराम की वकालत की है। अबू धाबी में आयोजित भारत-यूएई संबंधों पर ग्लोबल फोरम पैनल में बोलते हुए उन्होंने सोमवार को कहा कि यूक्रेन में युद्ध जैसे संघर्षों के इर्द-गिर्द दुनिया बहुत तेजी से विभाजित हो रही है। ऐसे में भारत एक सेतु की भूमिका निभा सकता है। वहीं, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार डॉ अनवर मोहम्मद गर्गश ने भी यूक्रेन में संघर्ष के त्वरित अंत की अपील की है।
भारत-यूएई संबंधों पर ग्लोबल फोरम पैनल में बोलते हुए एस जयशंकर ने वर्तमान में दुनिया में हो रहे दो बड़े विभाजनों पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक पूर्व-पश्चिम विभाजन है जो यूक्रेन के आसपास केंद्रित है और दूसरा विकास के आसपास केंद्रित उत्तर-दक्षिण का विभाजन है। रूस-यूक्रेन संघर्ष का असर इस सब पर पड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि यूक्रेन का भी विकास पर प्रभाव पड़ रहा है। मेरा मानना है कि इस स्थिति को बदलने के लिए भारत जैसा देश अकेले नहीं बल्कि संयुक्त अरब अमीरात जैसे अन्य देशों के साथ मिलकर प्रभावी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि आज पुल बनाने की जरूरत है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और यूएई दो ऐसे देश हैं जो बहुत सहज हैं, जो एक-दूसरे को लंबे समय से जानते हैं और जो आज इस रिश्ते का उपयोग बदलती दुनिया में करना चाहते हैं। इन संबंधों का उपयोग न केवल बदलती दुनिया में जीवित रहने के लिए, बल्कि बदलती दुनिया को आकार देने के लिए भी किया जा रहा है।
इस दौरान संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार डॉ अनवर मोहम्मद गर्गश ने भी रूस-यूक्रेन संघर्ष के शीघ्र समापन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच की जंग राजनीतिक रूप से समाप्त नहीं होगा। यह हमारे हित में है कि इस संघर्ष को समाप्त करने वाली राजनीतिक प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए।
गौरतलब है कि 24 फरवरी से यूक्रेन के खिलाफ रूस ने एक विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था। अमेरिका समेत अधिकतर पश्चिमी देशों ने रूस की इस कार्रवाई की ना केवल बड़े पैमाने पर आलोचना की थी बल्कि कई कड़े प्रतिबंध भी लगा दिए थे।
न्यूयॉर्क का दौरा करेंगे विदेश मंत्री जयशंकर
इस बीच, विदेश मंत्रालय ने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को लेकर बड़ी जानकारी दी है। मंत्रालय ने बताया कि एस जयशंकर 14 और 15 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भारत की वर्तमान अध्यक्षता के दो उच्च-स्तरीय मंत्रिस्तरीय हस्ताक्षर कार्यक्रमों की अध्यक्षता करने के लिए न्यूयॉर्क का दौरा करेंगे।