अमरीकी मैगज़ीन न्यूज़वीक ने लिखा है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने एक शताब्दी के दौरान छोटे छोटे संगठनों और कुछ क्रांतिकारियों को मिलाकर दुनिया की सबसे बड़ी सेना बना ली जिसमें साढ़े 9 करोड़ सैनिक शामिल हैं। इसके बाद वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था बनाने जा रही है।
लेखक टाम ओकनर ने लिखा कि कम्युनिस्ट सेना ने अपने गठन के सौ साल पूरे होने पर इन दिनों बहुत बड़ा जश्न मनाया और अतीत और वर्तमान की चुनौतियों को याद किया, साथ ही भविष्य के उद्देश्यों पर भी ज़ोर दिया।
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कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर अमरीका और अन्य देशों की ओर से चीन के लिए खड़ी हो जाने वाली चुनौतियों की वजह से अनिश्चय की स्थिति है।
कम्युनिस्ट पार्टी के गठन के सौ साल पूरे होने पर मनाए जाने वाले जश्न में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने महत्वपूर्ण बयान दिया।
अमरीका की येल युनिवर्सिटी में पाल त्साय केन्द्र की अनुसंधानकर्ता सूज़ान थोरेंटन ने कहा कि आर्थिक विकास, आंतरिक स्थिरता, प्राथमिकताओं के बारे में आम सहमति, अंतर्राष्टीय पैठ और तकनीकी व सामरिक क्षमताओं में विकास चीन के उदय के बड़े कारण हैं।
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राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कुछ वर्षों से सेना के भीतर बहुत बड़े पैमाने पर सुधार कार्यक्रम चला दिया है जिसका उद्देश्य चीन की सेना को आइंदा 50 साल में अंतर्राष्ट्रीय सेना में बदल देना है।
भारी पैमाने पर निवेश के नतीजे में चीन की सेना इस समय युद्धक नौकाओं के निर्माण, मिसाइल डिफ़ेन्स सिस्टम तथा दूसरे कई क्षेत्रों में अमरीकी सेना से आगे निकल गई है।
तिनयानमिन स्क्वेयर पर अपने एतिहासिक भाषण में चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन की पीपल्ज़ आर्मी का मूल उद्देश्य कम्युनिस्ट चीन की रक्षा, राष्ट्रीय मर्यादा की रक्षा, क्षेत्र के भीतर और बाहर शांति की हिफ़ाज़त है।
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शी जिनपिंग का कहना था कि चीन के ख़ास कम्युनिज़्म ने देश को अलग थलग देश से पूरी दुनिया के लिए अपने दरवाज़े खोलने वाले देश में बदल दिया। चीन ने एतिहासिक छलांग लगाई और दुनिया की दूसरी आर्थिक ताक़त बन गया जिसके नतीजे में देश के भीतर जनता का जीवन स्तर बेहतर हुआ और सबको जीवन में आसानियां मिलीं।
इंडियाना विश्वविद्यालय में चीन अमरीका संबंधों के इतिहास के टीचर शोयो ज़ांग ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति के बयान से ज़ाहिर है कि यह देश उसी आर्थिक रणनीति पर आगे चलेगा जो उसने 1978 से 1992 के बीच अपनाई।