सऊदी अरब की सरकार ने फ़िलिस्तीनियों के लिए हज और उमरह की वीज़ा जारी करने के संबंध में एक नया फ़ैसला किया है जिससे बहुत से फ़िलिस्तीनी हज और उमरह के अवसर से वंचित कर दिए गए हैं।
जार्डन के एक सांसद ने सवाल उठाया है कि क्या सऊदी अरब ने 1948 के फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में रहने वाले फ़िलिस्तीनियों और ग़ज़्ज़ा वासियों को हज से वंचित करने की ठान ली है। जार्डन के सांसद मुहम्मद ज़हरावी ने कहा कि सऊदी अरब के इस फ़ैसले को आम जनमत के सामने पेश किया जाना चाहिए ताकि लोग इस पर अपनी राय दें।
हुआ यह कि सऊदी अरब ने जार्डन के हज एवं वक्फ़ विभाग को सूचना दी है कि जार्डन के रास्ते से हज और उमरह करने सऊदी अरब वही आ सकता है जिसके पास जार्डन का पासपोर्ट और नागरिक कोड नंबर होगा। अब अगर जार्डन की सरकार सऊदी अरब के इस फ़ैसले पर अमल शुरू कर देती है तो 25 लाख फ़िलिस्तीनी हज और उमरह से वंचित हो जाएंगे जो जार्डन के रास्ते से हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं।
ज़हरावी ने जार्डन की संसद में फ़िलिस्तीनी मामलों की समिति की बैठक में यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि क्या वाकई सऊदी अरब की सरकार ने यह फ़ैसला कर लिया है कि वह हमारे फ़िलिस्तीनी भाइयों को हज से वंचित कर देगी। फ़िलिस्तीन में हमारे भाई इस्राईली अतिग्रहण का मुक़ाबला कर रहे हैं और बड़े साहस के साथ क़ुरबानियां दे रहे हैं। यदि उनके ख़िलाफ़ इस प्रकार के निर्णय किया जाएंगे और उन पर अमल किया जाएगा तो उन पर इसका क्या असर होगा।
इसी बैठक में वक्फ़ और धार्मिक स्थालों के मामलों के मंत्री डाक्टर अब्दुन्नासिर अबुल बसल ने बताया कि इस मामले पर बातचीत के लिए जार्डन का एक प्रतिनिधिमंडल रियाज़ की यात्रा पर जा रहा है। यह प्रतिनिधिमंड सऊदी अधिकारियों से यह पूछेगा कि 1948 की फ़िलिस्तीनी धरती पर रहने वाले अरब और ग़ज़्ज़ा वासियों के पास तो जार्डन का पासपोर्ट और जार्डन का नागरिक कोड नंबर नहीं है तो क्या उनको हज और उमरह करने की अनुमति नहीं दी जाएगी? सऊदी सरकार यह क़दम किन कारणों से उठा रही है? मंत्री ने बताया कि इस नए फ़ैसले के बाद फ़िलिस्तीनी मुसलमान हज और उमरह से वंचित हो गए हैं।
वर्ष 1974 से वह फ़िलिस्तीनी जो 1948 वाली फ़िलिस्तीनी धरती पर बसे हुए हैं इसी प्रकार ग़ज़्ज़ा में रहने वाले फ़िलिस्तीनी जार्डन के रास्ते से हज के लिए जाते थे और जार्डन की सरकार उन्हें पासपोर्ट उपलब्ध कराती थी लेकिन जार्डन का नागरिक कोड उन्हें नहीं दिया जाता क्योंकि यह कोड केवल जार्डन के नागरिकों के लिए है।
अब सऊदी अरब की सरकार ने नया फ़ैसला सुना कर इन फ़िलिस्तीनियों को हज से वंचित कर दिया है। इससे पहले सऊदी अरब की सरकार, इराक़, सीरिया, क़तर और यमन सहित अनेक देशों के नागरिकों को अलग अलग बहानों से हज से वंचित कर चुकी है। यही कारण है कि कुछ देशों ने मांग उठाई थी कि हज का प्रबंधन इस्लामी जगत के देशों को संयुक्त रूप से करना चाहिए इस पर सऊदी अरब की मोनोपोली समाप्त होनी चाहिए ताकि सऊदी अरब इस धार्मिक परम्परा को राजनैतिक स्वार्थों के लिए प्रयोग न करने पाए।
सऊदी अरब हज का प्रबंधन इस्लामी जगत या अरब जगत को सौंपने के लिए तैयार नहीं है। इसका एक कारण तो यह है कि सऊदी अरब इसे अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा समझता है और दूसरे यह कि सऊदी अरब की वर्तमान सरकार हज और उमरह को आर्थिक आय स्रोत के रूप में भी देख रहे हैं और आय बढ़ाने के लिए हज व उमरह यात्रियों की गुंजाइश बढ़ाने के बारे में भी सोच रहे हैं।