पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को एक विशेष अदालत में एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने अटक जेल के अधीक्षक के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की मांग की। जेल अधीक्षक ने कथित तौर पर उन्हें अपने बेटों से फोन पर बात करने की अनुमति नहीं दी है। स्थानीय मीडिया ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
खान कथित तौर पर सरकारी गोपनीय जानकारी को लीक करने के मामले (साइफर केस) में 13 सितंबर से न्यायिक हिरासत में हैं। तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व पीटीआई प्रमुख को पांच अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद से वह अटक जेल में बंद हैं।
सरकारी गोपनीयता कानून के तहत दर्ज मामलों की सुनवाई के लिए पिछले महीने एक विशेष अदालत गठित की गई थी। अदालत ने खान को अपने बेटों कासिम और सुलेमान से बात करने की अनुमति दी थी।
जिओ न्यूज की खबर के मुताबिक, इमरान खान ने याचिका में अटक जेल अधीक्षक के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला चलाने की मांग की है। याचिका में खान ने दावा किया कि जेल अधिकारियों ने उन्हें यह कहकर अपने बेटों के साथ टेलीफोन पर बातचीत करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया कि उन्हें गोपनीयता कानून के तहत रखा गया है।
न्यायाधीश अबुल हसनत जुल्करनैन ने अटॉक जेल के अधीक्षक आरिफ शहजाद को नोटिस जारी किया और 15 सितंबर को अदालत के आदेश के क्रियान्वयन पर रिपोर्ट मांगी।
कथित साइफर (गोपनीय राजनयिक केबल) में पिछले साल दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो के लिए सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू और पाकिस्तानी राजदूत असद मजीद खान सहित अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों के बीच हुई बैठक का विवरण था।
अमेरिकी मीडिया संस्थान ‘द इंटरसेप्ट’ द्वारा गोपनीय केबल की कथित प्रति प्रकाशित किए जाने के बाद इमरान खान जांच के घेरे में आ गए और शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में कई लोगों ने लीक का स्रोत होने को लेकर पीटीआई प्रमुख पर उंगली उठाई थी।
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की खंडपीठ ने बुधवार को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में इमरान खान की तीन साल की सजा निलंबित कर दी और उन्हें पंजाब प्रांत की जेल से रिहा करने का आदेश दिया। लेकिन पिछले महीने एक विशेष अदालत ने साइफर मामले में इमरान खान की न्यायिक हिरासत 13 सितंबर तक बढ़ा दी थी, जिसके बाद से वह जेल में ही हैं।