भारत का कहना है कि अच्छे व्यवहार के बारे में ट्रम्प के बयान के संदर्भ को समझना महत्वपूर्ण है और उन चिंताओं पर ध्यान देने के प्रयास किए गये हैं।
देश-विदेश – भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि जिस संदर्भ में यह बयान दिया गया है उसे समझना महत्वपूर्ण है। ट्रम्प के बयान का संदर्भ व्यापार संतुलन से था, उन चिंताओं पर ध्यान देने के प्रयास किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि कृपया इस बात को समझें कि अमेरिका माल और सेवा क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है। यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि पिछले कुछ वर्षो में दोनों देशों के बीच कारोबार निरंतर बढ़ा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम अमेरिका के साथ कुछ समय से कारोबार वार्ता कर रहे हैं, हम उम्मीद करते हैं कि इसका परिणाम दोनों देशों के बीच सही संतुलन के रूप में सामने आयेगा।
भारत के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम जल्दबाज़ी में कोई कोई समझौता नहीं करना चाहते क्योंकि इससे जुड़े मुद्दे जटिल हैं और कई ऐसे निर्णयों से संबंधित हैं जिनका लाखों लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है, हमारे लिये लोगों के हित सर्वोपरि हैं, ऐसे में जल्दबाज़ी ठीक नहीं है, हम कोई कृत्रिम समय सीमा सृजित नहीं करना चाहते।
उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते कारोबार का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हमारा कारोबार पिछले दो वर्षों में 10 प्रतिशत प्रति वर्ष के हिसाब से बढ़ा है।
विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस संदर्भ में अमेरिका से तेल और गैस के आयात का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमारा व्यापार घाटा कम हो रहा है।
भारत सरकार ने कारोबार के मुद्दे पर भारत द्वारा अमेरिका के साथ ‘अच्छा व्यवहार’ न करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के बयान को कमतर करने का प्रयास किया है।
ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान अमेरिका के साथ बहुप्रतिक्षित कारोबार समझौता होने की उम्मीदें ख़त्म होने की दिशा में बढ़ने के साथ ही भारत ने कहा कि वह कोई ‘कृत्रिम समयसीमा’ नहीं सृजित करना चाहता।
ट्रम्प ने कहा था कि कारोबार के क्षेत्र में भारत ने उनके देश के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। उन्होंने इसके साथ संकेत दिया कि ऐसा हो सकता है कि नई दिल्ली के साथ कोई ‘बड़ा द्विपक्षीय समझौता’ अमेरिका में नवम्बर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले न हो।
साभार पी.टी.