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Sunday, May 19, 2024

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थाईलैंड की सांसद को राजपरिवार का अपमान करना पड़ा भारी; अदालत ने सुनाई 6 साल की जेल

थाईलैंड की एक महिला सांसद को राजपरिवार के खिलाफ सोशल मीडिया पर लिखना भारी पड़ गया। सांसद रुक्चानोक श्रीनोक को सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से राजशाही के कथित अपमान के लिए छह साल जेल की सजा सुनाई गई है। बताया जा रहा है कि उन्होंने साल 2020 में सोशल मीडिया पर दो पोस्ट किए थे, जिसमें राजपरिवार के लिए अपमानजनक बातें लिखी गईं थीं। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, महिला सांसद को राजा के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण टिप्पणी करने (लसs मैजेस्टे 112) और प्रौद्योगिकी अपराध अधिनियम का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया। इन दोनों आरोपों में उन्हें अदालत द्वारा तीन-तीन साल की कैद की सजा सुनाई गई है। 

थाई लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स (टीएलएचआर) द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, जिन पोस्ट को लेकर उन्हें सजा दी गई उनमें से एक में सरकार की कोविड-19 वैक्सीन खरीद के संबंध में आलोचना की गई थी, जिसमें राजा से जुड़ी एक फार्मास्युटिकल कंपनी को शामिल किया गया था। वहीं, दूसरी पोस्ट में साल 2020 के विरोध प्रदर्शन की एक तस्वीर का रीट्वीट शामिल था, जिसमें राजशाही विरोधी माने जाने वाले मैसेज शामिल थे। 

दे दी गई जमानत
हालांकि इस कानून के तहत सजा सुनाने के बाद अदालत ने  रुक्चानोक को जमानत भी दे दी। अदालत ने उन्हें सजा के एवज में 14,000 पाउंड के बॉन्ड भरने का आदेश देते हुए भविष्य में इस तरह के अपराध में शामिल न होने की चेतावनी दी। 

विपक्षी मूव फॉरवर्ड पार्टी की सांसद हैं  रुक्चानोक 
बता दें कि रुक्चानोक विपक्षी मूव फॉरवर्ड पार्टी  से हैं। इसी साल मई माह में हुए आम चुनाव में मूव फॉरवर्ड पार्टी शानदार जीत दर्ज की थी। बावजूद इसके ये पार्टी सरकार का गठन नहीं कर सकी थी। इसका कारण भी यही कानून थे। दरअसल, इस पार्टी ने चुनावी प्रचार के दौरान देश के सबसे कठोर कानून लसे मैजेस्टे में बदलाव की बात कही थी।  

दुनिया के सबसे सख्त कानून हैं लसे मैजेस्टे 
गौरतलब है कि थाईलैंड में दुनिया के सबसे सख्त कानून हैं, जिनमें राजा, रानी या उत्तराधिकारी की आलोचना करने पर अधिकतम 15 साल की जेल की सजा का प्रावधान है। इन्हें वहां कानून 112 के नाम से जाना जाता है। थाईलैंड की आपराधिक संहिता के अनुच्छेद 112 के तहत दोषसिद्धि पर दशकों तक लंबी सजा हो सकती है। हाल के सालों में कई व्यक्तियों को इसका सामना करना पड़ा है।

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