लंदन से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र रायुलयौम ने डॉलर के भविष्य और इस्लामी दीनार की वापसी पर अपने संपादकीय में रोचक चर्चा की है।
विदेश – अमरीका ने नार्डस्ट्रीम और तुर्क स्ट्रीम गैस पाइप लाइनों पर प्रतिबंध लगा दिये और रूस, युरोप व तुर्की की कंपनियों की संपत्ति ज़ब्त करने का आदेश दिया है क्योंकि इन कंपनियों ने तेल पाइप लाइन की दोनों परियोजनों में पुंजी निवेश किया था। अमरीका के इस क़दम से सब पर यह स्पष्ट हो गया कि इस अमरीकी गुंडागर्दी के खिलाफ सामूहिक रूप से क़दम उठाने की ज़रूरत है।
अमरीकी प्रतिबंधों का दायरा बढ़ता ही जा रहा है और दुनिया के नये नये देश हर रोज़ उसमें शामिल होते रहते हैं और अब तो चीन, रूस , उत्तरी कोरिया और कनाडा जैसे देश और अधिकांश युरोपीय देश भी अमरीकी प्रतिबंध का शिकार हो रहे हैं ईरान और उसके घटक तो बरसों से इस अभिशाप का सामना कर रहे हैं लेकिन अब अमरीकी प्रतिबंधों की नीति से विश्व शांति व स्थिरता को खतरा पैदा हो रहा है और निश्चित रूप से इसका खमियाज़ा अमरीका को भुगतना पड़ेगा।
अमरीका के प्रतिबंधों के हथियार की धार खत्म करने के लिए सब से पहले विश्व अर्थ- व्यवस्था पर डॉलर के वर्चस्व को खत्म करना होगा। यही वजह है कि चीन और रूस ने स्वेदशी करेंसी के इस्तेमाल पर सहमति प्रकट की है। चीन ने ” गोल्डन युवान ” के सहारे अगले पांच वर्षों में डॉलर के वर्चस्व को समाप्त करने का वचन दिया है।
मलेशिया के प्रधानमंत्री डॉक्टर महातीर मुहम्मद ने गत शनिवार को एलान किया कि उनका देश, ईरान, तुर्की और क़तर के साथ मिल कर एक ऐसी व्यवस्था बनाने पर बात कर रहे हैं जिसमें आपसी व्यापार के लिए सोने का प्रयोग किया जाएगा और उन्होंने क्वालालंपुर शिखर सम्मेलन में ” इस्लामी दीनार” की ओर वापसी का भी प्रस्ताव रखा ताकि इस प्रकार से अमरीकी प्रतिबंधों से बचा जा सके ।
पूरी दुनिया में मुसलमानों की जनसंख्या डेढ़ अरब से भी अधिक है। इस लिए चीन व रूस के साथ मिल कर इस्लामी देश एक बहुत बड़ा आर्थिक ज़ोन बना सकते हैं जहां डॉलर का कोई वर्चस्व न रहे
कहते हैं कि लीबिया के प्रमुख मुअम्बर कज़्ज़ाफी ने जो ” अफ्रीकी दीनार” का विचार पेश किया था और उसे लागू भी कर दिया था, वही चीज़ उनके खिलाफ नैटो द्वारा सैन्य कार्यवाही का कारण बनी जिसके दौरान उनकी निर्ममता के साथ हत्या भी कर दी गयी।
ट्रम्प पूरी दुनिया से तो लड़ नहीं सकते और न ही प्रतिबंध लगा कर पूरी दुनिया की अर्थ व्यवस्था तबाह कर सकते हैं इस लिए उनका जवाब देने के लिए डॉलर का विकल्प तलाश करना ज़रुरी है और हमारे ख्याल में यह काम शुरु हो चुका है और लोग बड़ी संख्या में इससे जुड़ते जा रहे हैं।
साभार, रायुल यौम, लंदन