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Sunday, June 16, 2024

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निखिल गुप्ता की याचिका चेक रिपब्लिक की अदालत ने की खारिज, प्रत्यर्पण के खिलाफ की थी अपील

खालिस्तानी आतंकी गुरुपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के कथित आरोप में एक भारतीय चेक रिपब्लिक की जेल में बंद है। निखिल गुप्ता प्राग की जेल में सजा काट रहे हैं। चेक रिपब्लिक की संवैधानिक न्यायालय ने बुधवार को गुप्ता की याचिका पर सुनवाई की। गुप्ता ने अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।

अदालत ने बुधवार को एक बयान जारी किया। बयान में उन्होंने कहा कि संवैधानिक न्यायालय को ऐसी कोई परिस्थिति नहीं मिली, जिससे प्रत्यर्पण के दौरान मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता में से किसी का उल्लंघन हो। बयान के अनुसार, निखिल ने कहा था कि अदालत ने उन परिस्थितियों की जांच नहीं की, जो प्रत्यर्पण में बाधा बन सकती है। जनवरी में एक उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि गुप्ता को अमेरिका में प्रत्यर्पित किया जा सकता है। हालांकि, प्रत्यर्पण पर अंतिम फैसला न्याय मंत्री पावेल ब्लेजेक द्वारा किया जाएगा।

कौन है निखिल गुप्ता
अमेरिका के न्याय विभाग की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 52 वर्षीय निखिल गुप्ता एक भारतीय नागरिक है, जिसे बीती 30 जून को चेक रिपब्लिक की सरकार ने पकड़ा था। अमेरिकी न्याय विभाग का कहना है कि भारत के एक सरकारी अधिकारी, जिसके नाम का खुलासा नहीं हुआ है, निखिल  गुप्ता और अन्य उस सरकारी अधिकारी के संपर्क में थे। ये लोग अमेरिका में एक राजनीतिक कार्यकर्ता, जो भारतीय मूल का है और अमेरिकी नागरिक है, उसकी हत्या की साजिश रच रहे थे। निखिल गुप्ता ने 30 जून को चेक रिपब्लिक का दौरा किया था, जहां उसे अमेरिका की विनती पर चेक रिपब्लिक पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।  

पिछले महीने द वाशिंगटन पोस्ट ने अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए पन्नू को मारने की कथित साजिश के संबंध में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) के एक अधिकारी का नाम लिया था। रॉ अधिकारी विक्रम यादव ने पन्नू को मारने के लिए एक हिट टीम बनाई थी। इस रिपोर्ट को भारत ने खारिज कर दिया था। साथ ही आरोपों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। हाल ही में अमेरिका ने कहा था कि वह इस मुद्दे पर भारतीय जांच के नतीजों का इंतजार कर रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि हम इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं और हमें लगता है कि भारत को भी इसे गंभीरता से लेना चाहिए। 

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