28.1 C
Mumbai
Saturday, May 4, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

पढ़ें रायुल यौम का ज़बरदस्त संपादकीय – ईरान, रूस व चीन का संयुक्त युद्धाभ्यास… एक नया मोर्चा खुल रहा है… ? ईरान और अरब देशों की सटीक तुलना …

लंदन से प्रकाशित होने वाले अरबी समाचार पत्र रायुल ने ईरान, रूस और चीन के संयुक्त युद्धाभ्यास पर अलग तरह से नज़र डाली है और कई रोचक बिन्दुओं का उल्लेख किया है। आप भी पढ़ें।

विदेश – ओमान सागर और हिंद महासागर में एक एेसा युद्धाभ्यास हो रहा है जिसकी मिसाल अतीत में नहीं मिलती। इस युद्धाभ्यास में ईरान, चीन और रूस के युद्धपोत और नौसैनिक भाग ले रहे हैं और यह युद्धाभ्यास चार दिनों तक जारी रहेगा। इस युद्धाभ्यास का नारा है कि क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुरक्षित बनाएं और शांति स्थापित करें। इस क्षेत्र से हर रोज़ 18 मिलयन बैरल तेल गुज़रता है। 

शायद अभी यह कहना जल्दी हो कि यह युद्धाभ्यास, ईरान, चीन और रूस का नया गठबंधन है लेकिर यह तो एक सच्चाई है कि अमरीका और पश्चिमी देशों के लिए इस युद्धाभ्यास में एक गहरा संदेश छिपा है जिन्होंने पिछले महीने तेल की आवाजारी व व्यापार की सुरक्षा के ही दावे के साथ दो- दो गठबंधन बनाने की घोषणा की थी और उसमें सऊदी अरब और यूएई जैसे देश शामिल हैं। 

https://manvadhikarabhivyakti.com/wp-content/uploads/2019/12/15776076255211327101436.png

ईरान को कड़े अमरीकी प्रतिबंधों का सामना है इसी लिए इस युद्धाभ्यास से उसे सब से अधिक फायदा मिलेगा क्योंकि इस युद्धाभ्यास का एक अर्थ, अमरीकी प्रतिबंध की दीवार गिराना भी है। इस से दुनिया को यह संदेश जाता है कि ईरान, अमरीकी दावे के विपरीत, अलग- थलग नहीं है बल्कि उसके पास तो चीन और रूस जैसी दो महाशक्तियां दोस्त के रूप में मौजूद हैं। 

वैसे भी अब यह समय बीत चुका है जब अमरीका अकेले की दुनिया पर राज करता था और हर देश का रास्ता निर्धारित करता था और फार्स की खाड़ी और हुरमुज़ स्ट्रेट पर तो उसकी पकड़ भी उस तरह से मज़बूत नहीं रह गयी है जैसे कभी हुआ करती थी। 

यह भी एक संयोग है कि ईरान, चीन व रूस के साथ मिल कर यह युद्धाभ्यास एेसे समय में कर रहा है कि जब चीन  ने लांग मार्च -5 नामक  लंबी दूरी के मिसाइल का परीक्षण किया है और रूस ने बताया है कि उसका सुपर साॅनिक मिसाइल सेना के हवाले कर दिया गया है जो दुनिया के किसी भी इलाक़े में जाकर अपने लक्ष्य को ध्वस्त कर सकता है। 

https://manvadhikarabhivyakti.com/wp-content/uploads/2019/12/1577607739479-740091561.png

अगर पश्चिमी सूत्रों का यह अनुमान कि चीन अगले दस वर्षों में सब से बड़ी आर्थिक शक्ति बन जाएगा,  और  वह  पांच साल के भीतर रूस की मदद से एेसा अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सिस्टम लाएगा जिससे  डॅालर का वर्चस्व तो खत्म हो ही जाएगा, सही हैं तो इसका मतलब यह होगा कि ईरान ने अपने अरब प्रतिद्धींदियों के विपरीत, अधिक शक्तिशाली और भरोसेमंद घटक चुना है। 

पश्चिम के विश्व विद्यालयों और स्कूलों में चीनी भाषा पढ़ाई जाने लगी है और हमारे अधिकांश  इस्लामी धर्मगुरु, फरिश्तों के लिंग पर चर्चा कर रहे हैं कि वह पुरुष हैं या स्त्री, अरब देश लगभग हर चीज़ आयात कर रहे हैं यहां तक कि अपनेअंतर्वस्त्र भी। 

दुनिया में बड़ी तेज़ी से बदलाव आ रहा है जबकि अधिकांश अरब, एक ही लक्ष्य तक पहुंचने में व्यस्त हैं और  वह है एक दूसरे को तबाह करना , वह भी अमरीकी आदेश से, और हमें नहीं लगता कि यह स्थिति अगले बीस वर्षों तक बदलने वाली है। 

ईरान, ताक़तवर देशों  से हाथ मिला रहा है और दोस्ती बना रहा है क्योंकिे उसके पास रणनीति है और आधुनिक सैन्य उद्योग है इसके साथ ही ईरान की शक्ति भी बढ़ रही है लेकिन उसके पड़ोसी अरब देश, ताक़तवरों से दोस्ती तो कर रहे हैं लेकिन इस लिए ताकि इन ताकतवरों के कमज़ोर पिछलग्गू बन सकें और अरबों डॅालर देकर अपनी वफादारी साबित कर सकें। यही वजह है कि ईरान विकास की राह पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और यह अरब देश, बस गाली गलौच और बुरा भला कहने तथा इसी उद्देश्य के लिए आईटी सेल बना कर खुश हो रहे हैं।

साभार, रायुल यौम, लंदन व (पी.टी.) 

Latest news

ना ही पक्ष ना ही विपक्ष, जनता के सवाल सबके समक्ष

spot_img
Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Translate »