अमेरिका ने संकेत दिया है कि वह आतंकवादी हिंसा का मुकाबला करने में पाकिस्तान की मदद करेगा। इस संकेत से यहां राहत महसूस की गई है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान में प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) को अपनी आतंकवादी संगठनों की सूची में डाल दिया है। साथ ही अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा से लगे इलाकों में अड्डा जमाए आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई का इरादा जताया है। इसके साथ ही उसने अल-कायदा इन द इंडियन सब-कॉन्टिनेंट (एक्यूआईएस) नामक संगठन के तीन नेताओं को प्रतिबंधित करने की घोषणा की है।
टीटीपी ने तीन दिन पहले ही पाकिस्तान सरकार के साथ अपने जारी युद्धविराम को तोड़ने का एलान किया था। साथ ही उसने अपने कमांडरों को आदेश दिया कि वे पूरे पाकिस्तान में हमले तेज कर देँ।। इसके पहले 30 नवंबर को क्वेटा शहर में एक पुलिस ट्रक पर हुए हमले की जिम्मेदारी भी उसने स्वीकार की है। उस हमले में चार लोग मर गए थे। टीटीपी की इस घोषणा को पाकिस्तान सरकार के लिए एक तगड़ा झटका माना गया है। आशंका जताई गई है कि आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रही शहबाज शरीफ सरकार के सामने टीटीपी ने अब एक नई चुनौती खड़ी कर दी है।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से नाराज है। टीटीपी और पाकिस्तान के बीच बढ़े विवाद से उसे इस क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का मौका मिला है। लेकिन उसके इस कदम से पाकिस्तान सरकार को राहत मिली है। अमेरिकी घोषणा से शरीफ सरकार देश के अंदर यह बता सकेगी कि उसके रुख को दुनिया भर में समर्थन मिल रहा है। समाझा जाता है कि इससे अपने देश के भीतर भी उसे जन समर्थन जुटाने में मदद मिलेगी।
विश्लेषक अभी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिका के ताजा कदम से पाकिस्तान को असल में कितनी मदद मिलेगी। पेरिस स्थित पूर्व अफगान सुरक्षा अधिकारी अब्दुल जब्बार ने कहा है- ‘अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बयान में जैसी भाषा का इस्तेमाल किया गया, उससे काबुल स्थित तालिबान सरकार को सख्त संदेश मिला है। इस बयान से संकेत मिलता है कि अब अमेरिका टीटीपी, अल-कायदा और संभवतः आईएसआईएस (खुरासान) के नेताओं को निशाना बनाने के लिए फिर से हवाई हमले शुरू कर सकता है।’
पिछले शुक्रवार को काबुल में पाकिस्तान के दूतावास पर हमला हुआ था। आईएसआईएस (के) ने उस हमले की जिम्मेदारी ली थी। उसके बाद बीते रविवार को इस संगठन के अखबार अल-अजायम में छपे एक लेख में पाकिस्तान के अंदर भी हमले करने की धमकी दी गई।
थिंक टैंक यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस से जुड़े वरिष्ठ विश्लेषक असफयंदर मीर ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘इस कदम से संकेत मिलता है कि टीटीपी और अल-कायदा को लेकर अमेरिका की चिंता जारी है। इन दोनों गुटों को तालिबान का समर्थन और संरक्षण मिला हुआ है। इसलिए उन संगठनों के खिलाफ कार्रवाई को तालिबान को भेजे गए एक विरोध पत्र के रूप में देखा जाएगा।’
विश्लेषकों के मुताबिक तालिबान ने 2020 में अमेरिका के साथ दोहा में हुए करार को पिछले साल अगस्त में तोड़ते हुए काबुल पर कब्जा जमा लिया था। तब से अमेरिका उसे सबक सिखाने की कोशिश में है। पाकिस्तान के खिलाफ टीटीपी की कार्रवाइयों से उसे इस दिशा में पहल करने का मौका मिल गया है।