सुबेहा बाराबंकी।। क्षेत्र के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बाबा टीकाराम धाम में प्रशासनिक शिथिलता के चलते दो पक्षों में चल रहे वर्चस्व की जंग में आखिरकार एक पुजारी इस की भेंट चढ़ गया एक पक्ष द्वारा की गई पिटाई से घायल पुजारी लल्लू पाल की बुधवार को इलाज के दौरान मौत हो गई इसकी सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया आनन फानन में मृतक के घर पहुंचे कोतवाली प्रभारी ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु जिला मुख्यालय रवाना कर दिया।
उल्लेखनीय है कि हैदरगढ़ कोतवाली क्षेत्र के बेहटा गांव स्थित बाबा टीकाराम धाम में विगत एक पखवारे से वहां पर अधिपत्य को लेकर दो पक्षों में खींचतान चल रही है स्थानीय प्रशासन के आला अधिकारियों ने इसे सुलझाने का भी प्रयास किया परंतु उनकी लचर कार्यप्रणाली से मामला सुलझ नहीं सका। यहां पर बताते चलें कि क्षेत्र के दतौली चंदा मजरे बल्लूपुर गांव निवासी सुमन मिश्रा रमा चंद्र श्रीचंद आदि बाबा टीकाराम को अपना पूर्वज बताते हैं तथा विगत 50 वर्षों से वहां पर पूजा अर्चना एवं वहां की व्यवस्था करते हैं इधर हाल ही में बेहटा गांव निवासी कुछ लोगों की नजरें इस धाम पर जम गई तथा दबंगई पूर्वक उक्त बाबाओं को वहां से खदेड़ दिया तथा कब्जा कर लिया मामला जब प्रशासन में गया तो उप जिलाधिकारी ने मंदिर की कमान अपने हाथों में लेते हुए अपना एक पुजारी नियुक्त कर दिया तथा मामले के निस्तारण तक दोनों पक्षों को वहां आने जाने से मना कर दिया परंतु उप जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद भी वहां पर अवैध कब्जा करने वालों की गतिविधियां जारी रही इसी बीच वहीं पर पूजा अर्चना करने वाले बल्लूपुर मजरे दतौली चंदा निवासी लल्लू पाल पुत्र महाराज दीन की पिटाई बेहटा निवासी प्रदीप सिंह आदि ने कर दी जिसकी शिकायत भी पीड़ित द्वारा स्थानीय पुलिस से की गई परंतु पुलिस ने मामले को हल्के में लेते हुए मुकदमा दर्ज करना तो दूर पीड़ित को इलाज तक भी नहीं मुहैया कराया व्यक्तिगत संसाधनों से इलाज करा रहे पुजारी की 25 दिन जिंदगी मौत से जंग लड़ने के बाद आखिरकार मौत हो गई ।मृतक के परिजनों ने बताया कि बेहटा गांव के निवासी प्रदीप सिंह मनोज सिंह शंकर सिंह ने अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर लात-घूंसों से जबरदस्त पिटाई की थी यही नहीं इन दबंगों ने मृतक की दाढ़ी तक उखाड़ ली थी यदि पुलिस समय रहते इस मामले में कार्यवाही करती तो आज लल्लू की मौत नहीं होती। फिलहाल इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाबा टीकाराम धाम में चल रहा कब्जेदारी का विवाद प्रशासन द्वारा यदि समय रहते सुलझाया नहीं गया तो भविष्य में बड़ी घटना घट सकती है तथा व्यापक जान माल की हानि हो सकती है ।