अब्दुल बारी अतवान का जायज़ाः हमें यह नहीं पता था कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प अदाकारी भी अच्छी कर लेते हैं। इसका पता उनकी हालिया प्रेस कान्फ़्रेन्स से चला जिसमें उन्होंने दाइश के सरग़ना अबू बक्र बग़दादी के मारे जाने की घोषणा की।
विदेश – ट्रम्प इस तरह अपनी फ़तह का एलान कर रहे थे जैसे उन्होंने सोवियत संघ को उसकी शक्ति के चरम वाले दिनों में पराजित कर दिया है। ट्रम्प का हर एक्शन बहुत नपा तुला था जैसे उन्होंने पहले इसकी प्रैक्टिस की हो।
ट्रम्प ने आप्रेशन के बारे में जो जानकारियां दीं जिनमें बग़दादी, उसकी दो पत्नियों और तीन बेटों के विस्फोटक जैकेटों से मारे जाने की ख़बर भी शामिल है, हो सकता है कि यह जानकारियां सही हों और यह भी हो सकता है सही न हों। हमारा संदेह तब तक दूर नहीं होगा जब तक हम सही तसवीरें नहीं देख लेंगे। इसलिए कि ट्रम्प ने इस आप्रेशन में सहयोग के लिए रूस का शुक्रिया अदा किया मगर रूसी अधिकारियों ने कहा कि उन्हें भी इस बारे में संदेह है कि बग़दादी को मार दिया गया है। ट्रम्प ने सीरिया का भी शुक्रिया अदा किया मगर सीरियाई सूत्रों ने ट्रम्प का मज़ाक़ ही उड़ाया है। इसके अलावा उत्तरी इदलिब के जिस इलाक़े में आप्रेशन किया गया है उस पर अन्नुस्रा फ़्रंट का क़ब्ज़ा है तो सीरियाई सेना वहां कैसे सहयोग कर सकती है?!
ट्रम्प एक माहिर झूठे हैं। उनके अधिकतर बयानों और ट्वीट्स में झूठ की भरमार होती है। हो सकता है कि उन्होंने जिस तरह बिन लादेन के बेटे हमज़ा के मारे जाने की घोषणा कर दी और कोई साक्ष्य नहीं दिया उसी तरह यह ड्रामा भी किया हो ताकि सीरिया में अमरीका को मिलने वाली नाकामियों पर पर्दा पड़ जाए और वह चैंपियन बनकर उभरें और अमरीका का राष्ट्रपति चुनाव जीत लें। हमें यह भी बता है कि वह ओबामा से जलते हैं और हर चीज़ में उनकी नक़ल उतारने की कोशिश करते हैं। ओबामा ने ओसामा बिन लादेन को मारा था तो ट्रम्प के लिए बग़दादी की हत्या ज़रूरी हो गई थी।
अमरीकी सैनिकों ने जब सद्दाम के बेटों उदै और कुसै को मारा तो उनके शव कैमरों के सामने पेश कर दिए थे, सद्दाम हुसैन को फांसी दिए जाने की वीडिया भी लीक की, लीबिया के शासक कर्नल क़ज़्ज़ाफ़ी का शव भी लोगों के देखने के लिए रख दिया गया था तो फिर ओसामा बिन लादेन, हमज़ा बिन ओसामा बिन लादेन और अबू बक्र बग़दादी के शव क्यों नहीं दिखाए गए?
हमने अलक़ायदा और दाइश के बारे में जो अनुभव किया है वह बताता है कि अगर कोई कमांडर या सरग़ना मारा जाता है तो संगठन की ओर से बयान ज़रूर जारी किया जाता है ताकि उसके परिवार को पता चल जाए, उसने जो विरासत छोड़ी है उसका बंटवारा हो जाए और उसकी पत्नी या पत्नियां इद्दत की अविध पूरी करने के बाद यदि चाहें तो किसी और से विवाह कर लें।
ट्रम्प और ओबामा प्रशासन ने बिन लादेन, हमज़ा और बग़दादी के बारे में तथ्यों को छिपाने की नीति अपनाई जिन्हें जानने के लिए शायद कई दशक इंतेज़ार करना पड़े।
हमें नहीं लगता कि बग़दादी की मौत से, यदि उसकी हत्या की ख़बर सही है, दाइश पर कुछ ख़ास असर पड़ेगा क्योंकि बग़दादी अब इस पूरे संगठन को चलाने वाला सरग़ना नहीं था। वैसे भी यह संगठन अब बिखर गया है।
बग़दादी के मरने की ख़बरें कम से कम चार बार आ चुकी हैं और यह पांचवीं बार है। इसी लिए हम रूसी अधिकारियों की बात मानेंगे जिन्होंने इससे पहले वाली घोषणाओं के बारे में भी संदेह ज़ाहिर किया था और उनका संदेह सही साबित हुआ था।
बग़दादी के क़त्ल की ख़बर अगर सही है तो दाइश इंतेकाम़ लेने की कोशिश करेगा। जब मैं अपनी किताब “Islamic State the Digital Caliphate” लिख रखा था तो मेरी मुलाक़ात दाइश के एक कमांडर से हुई थी। उससे मैंने पूछा कि यदि बिन लादेन की तरह बग़दादी की हत्या कर दी जाए तो क्या होगा? उसने जवाब दिया था कि इंतेक़ाम दहला देने वाला होगा।
क्या दाइश फिर उभरेगा? क्या अमरीका बड़े बड़े सैनिक एलायंस इसलिए बना रहा है कि दाइश फिर उभरे और वह उसके बहाने इस इलाक़े में फिर अपनी पैठ बढ़ाए? क्या दाइश के गठन का मुख्य आरोपी अमरीका ही है और वह इस संगठन की मदद से बार बार मध्यपूर्व में अपनी सैनिक गतिविधियां बढ़ा रहा है?
इन सारे सवालों के जवाब हमारे पास नहीं हैं। इनके जवाब के लिए इंतेज़ार करना होगा।