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Thursday, May 2, 2024

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बाइडन प्रशासन को अमेरिकी एयरलाइन्स ने लिखा पत्र, कहा- चीन और अमेरिका के बीच और उड़ानों को मंजूरी न दें

अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से रिश्ते ठीक नहीं है। इस बीच अमेरिकी एयरलाइंस ने बाइडन प्रशासन को एक राय दी है। एयरलाइंस ने कहा कि प्रशासन से कहा है कि चीन और अमेरिका के बीच और उड़ानों को मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। एयरलाइंस ने कारण बताते हुए कहा कि चीन की मौजूदा नीतियां खतरनाक और प्रतिस्पर्धा विरोधी हैं। उनकी नीतियां अमेरिकी एयरलाइंस और अमेरिकी कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाती हैं।

दरअसल, अमेरिकी एयरलाइंस ने गुरुवार को अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और परिवहन सचिव पीट बटिगिएग को पत्र लिखा है। इसी पत्र में एयरलाइंस ने कहा कि चीन ने कोरोना महामारी के दौरान बाजार पहुंच के खिलाफ सख्त सीमाएं लागू कीं। साथ ही चीन ने सख्त नियम भी लागू किए, जिससे परिचालन, ग्राहकों और अमेरिकी एयरलाइन्स का चालक दल प्रभावित हुआ। चीन की नीतियों के कारण एरयलाइन्स के लगभग 3,15,000 कर्मचारी परेशान होेते हैं। बता दें, पत्र एयरलाइंस फॉर अमेरिका की ओर से लिखा गया था, यह विभिन्न अमेरिकी एयरलाइंस के प्रतिनिधित्व का संगठन है। संगठन में अमेरिकन एयरलाइंस (एएएल), डेल्टा (डीएएल), यूनाइटेड (यूनाइटेड) एयरलाइंस शामिल हैं। 

रूसी हवाईजहाज का अभी भी इस्तेमाल कर रहीं चीनी एयरलाइन्स
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी में अमेरिका ने चीनी एयरलाइनों को अमेरिका में सीधी यात्री उड़ानों के विस्तार को अनुमिति दी थी। फैसले का लक्ष्य कोरोना महामारी के कारण प्रभावित विमानन सेवाओं को धीरे-धीरे बहाल करना था। अमेरिकी अधिकारियों ने चीनी एयरलाइनों को अमेरिका से 50 साप्ताहिक राउंडट्रिप संचालित करने की मंजूरी दी है। पत्र में आगे कहा गया कि चीन के साथ रिश्ते 2022 में और खराब हुए, जब चीनी एयरलाइन्स रूसी हवाई क्षेत्रों का उपयोग करती रहीं। जबकि, अमेरिकी हवाईजहाजों ने यूक्रेन हमले के बाद से रूसी हवाईक्षेत्रों का इस्तेमाल बंद कर दिया था। 

पिछले साल मिले थे अमेरिकी और चीनी राष्ट्रपति
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग ने पिछली बार नवंबर में मुलाकात की थी। एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की यह मुलाकात सैन फ्रांसिस्को के फिलोली एस्टेट में हुई थी। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब, अमेरिका और चीन के द्विपक्षीय संबंध सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। विश्व में आर्थिक मंदी छाई हुई है। पश्चिम एशिया और यूरोप में युद्ध छिड़े हैं और ताइवान को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई है।

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