देश का लोकतंत्र भगवान भरोसे ? देश के तीसरे स्तंभ को न्याय के लिये चौथे स्तंभ का सहारा लेने को मजबूर होना पड़ा।
ये हमारे देश की विडम्बना ही है कि जब देश के सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जजों को अपनी बात रखने के लिये , यदि मीडिया का सहारा लेना पड़ा , तो ये बात बिल्कुल साफ हो जाती है कि देश का लोकतंत्र बाकई में खतरे में है , और सबसे अहम बात तो ये है कि जब न्यायपलिका को देश से न्याय करने की अपील करनी पड़ रही हो तो ये बात पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाती है कि भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा को लांध गया है , तभी तो सुप्रीम कोर्ट के चार सिटिंग जजों मा. जस्टिस चेलमेश्वर, मा. जस्टिस गोगोई, मा. जस्टिस कुरियन, मा. जस्टिस लोकुर ने ये आरोप लगाया है कि चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया से सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की गड़बडियों को लेकर शिकायत की कि प्रशासन व्यवस्था ठीक तरह से काम नही कर रही है, तो बात सुनी नही गई। साथ ही ये भी कहा कि मजबूरन मीडिया के सामने बात रखनी पड़ी।
क्या ये मैसेज देश हित में ? इससे क्या देश की साख को धब्बा नही लगा ? जब क्षुब्ध होकर जजों को अपनी बात रखनी पड़ी हो ।
– मानवाधिकार अभिव्यक्ति