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Sunday, May 5, 2024

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ब्रिटेन : क़तर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात आतंकवाद के समर्थक देश। —- रिपोर्ट – सज्जाद अली नायने

ब्रिटेन के राजदूत ने यह बात स्वीकार की है कि अमरीका के घटक देश आतंकवाद का समर्थन करते रहे हैं और आज भी कर रहे हैं।

जाॅनथन विलिक्स ने अपने एक बयान में स्वीकार किया है कि क़तर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात जैसे देश इराक़ में आतंकवादियों के सबसे बड़े आर्थिक सहयोगी हैं।

इराक़ पिछले एक दशक से आतंकवाद का सामना कर रहा है। वहां पर दाइश, आतंकवाद के स्पष्ट नमूने के रूप में सक्रिय रहा है। जून 2014 में आतंकवादी गुट दाइश ने इराक़ के बहुत बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर लिया था। कुछ समय के भीतर इस आतंकी गुट ने इराक़ के लगभग एक तिहाई भाग पर अपना अधिकार बना लिया था। इस दौरान दाइश ने इराक़ के भीतर जघन्य अपराध किये जिसके कारण हज़ारों इराक़ी मारे गए और लाखों अन्य घायल हो गए। दाइश के अत्याचार एवं अपराध के कारण बहुत बड़ी संख्या में इराक़ी, पलायन करने पर विवश हुए।

दूसरी ओर आतंकवाद का समर्थन एक एेसा विषय है जो प्रतिरोध करने वाले देशों विशेषकर ईरान पर दबाव बनाने के हथकण्डे में बदल चुका है। एेसे बहुत से प्रमाण पाए जाते हैं जो अमरीका तथा उसके घटकों के माध्यम से दाइश जैसे आतंकी संगठन के अस्तित्व में आने की भूमिका समतल की गई। अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने सन 2016 में अपने चुनाव प्रचार के दौरान स्पष्ट शब्दों में कहा था कि आतंकवादी गुट दाइश, बराक ओबामा और हिलैरी क्लिंटन के समर्थन से बना है।

अब इराक़ में ब्रिटेन के राजदूत का हालिया बयान इस बात को सिद्ध करता है कि दाइश जैसे ख़ूंख़ार आतकी संगठन का गठन न केवल अमरीका के माध्मय से बल्कि उसके घटकों के सहयोग से भी हुआ है क्योंकि जाॅनथन विलिक्स ने यह बात स्पष्ट रूप में कही है कि क़तर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात जैसे देश इराक़ में आतंकवादियों के सबसे बड़े आर्थिक सहयोगी हैं।

यहां पर ध्यानयोग्य बिंदु यह है कि इस बात के स्पष्ट हो जाने के बावजूद कि दाइश को पश्चिम और उसके घटकों ने अस्तित्व दिया है अमरीका, संचार माध्यमों का प्रयोग करके यह दर्शाने का प्रयास कर रहा है कि इराक़ में हुई आतंकवादी घटनाओं के लिए प्रतिरोधक गुटों और वहां के स्वयंसेवी बलों को दोषी ठहराया जाए। हांलाकि इराक़ से दाइश को निकाल बाहर करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका इराक़ी स्वयंसेवी बलों की रही है।

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