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ब्रेकिंग फ़तेहपुर – विवेक मिश्र

चुनाव के मद्देनजर पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही के चलते थरियांव थाना क्षेत्र से पुलिस ने असलहा फैक्ट्री पकड़ी, कई बने अधबने असलहे सहित दो युवक गिरफ़्तार।

फ़तेहपुर – जिला प्रशासन की टीम ने चौदह ओवरलोड ट्रकों को किया सीज, साथ ही एआरटीओ ने एक सौ चार ट्रकों का किया ई चालान, ओवरलोड पर हफ्तों बाद हुई कार्यवाही से प्रशासन पर प्रश्नचिन्ह, प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में खुलेआम निकल रहे हैं ओवरलोड ट्रक, खानापूर्ति के लिए की गई कार्यवाही।ओवरलोड की वजह से सड़कों की हालत खस्ताहाल।

आम आदमी कैसे न हो निराश, जब भाजपा विधायक को ही पुलिस से न्याय की आस ।

किसी भी मामले में जब पीड़ित को न्याय की आस होती है तो वह खाकी के रखवालों का दरवाजा खटखटाता है और उनसे यह उम्मीद भी होती है कि वह पीड़ित की मदद करे, मगर अब खाकी के अधिकतर रखवाले मदद करने से पहले अपने ब्यक्तिगत लाभ के बारे में सोचने लगते हैं जबकि यह तो उनका नैतिक दायित्व है। ऐसे ही कई पीड़ित, अपने घर मे चोरी, टप्पेबाजी, बाइक चोरी का शिकार हुए हैं मगर कोतवाली पुलिस उन्हें महीनों टहलाती रहती है, अब आम आदमी की सुनवाई नहीं हो रही यह तो थोड़ी देर के लिए माना जा सकता है मगर जब सत्ता पक्ष के विधायक को ही कई दिन न्याय के लिए इंतजार करना पड़े तो इससे यह जाहिर होता है कि स्थानीय पुलिस कितनी गैर जिम्मेदार है, असल मे इनका अधिक ध्यान वहीं रहता है जहां से इन्हें कुछ जुगाड़ नजर आता है नहीं तो धन्य है इनकी पोलिसिंग।

आपको बता दें कि दो दिन पूर्व ही खागा की भाजपा विधायक कृष्णा पासवान के पुत्र को कुछ अराजकतत्वों ने दिनदहाड़े सरेबाजार पीट पीट कर लहुलूहान कर दिया था और उनकी सोने की चेन लूट ली थी। मगर लगभग दो दिन होने के बावजूद पुलिस के हाथ अभी भी खाली हैं कोतवाली पुलिस उनकी गाड़ी पकड़कर ही अपनी पीठ थपथपा रही है, जबकि आचार संहिता के दौरान अगर कोई खुलेआम इस तरह की गुंडई करता है तो वह निश्चित ही अपराधी की श्रेणी में है और निरंकुश है ऐसे लोगों की जगह खुले में नहीं है, ये सीधे जेल भेजने के लायक हैं। वहीं कोतवाली पुलिस इन दिनों सेटलमेंट के मामले में भी चर्चा में है। यहां बड़े बड़े मामलों को पुलिसिया ज्ञान बताकर यूं ही चुटकियों में निपटा दिया जाता है यहां के एक दरोगा ने तो रिकार्ड ही कायम कर दिए हैं ऐसी चर्चा है कि कई बड़े मामलों में अपराधियों को जेल भेजने के बजाय, मामले को सेटलमेंट के रास्ते से निपटा दिया गया है जिसमे ब्यक्तिगत हित को विशेष ध्यान में रखा गया है।

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