भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश की सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी की चार दश्मल पांच प्रतिशत की वृद्धि दर को नाकाफी और चिंताजनक बताया है।
देश-विदेश – मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन में अपना विदाई भाषण देते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि साथ ही मैं यह भी कहूंगा कि हमारे समाज की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है।
द वायर के अनुसार मनमोहन सिंह का कहना था कि शुक्रवार को सामने आए जीडीपी के आंकड़े 4.5 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर पर हैं जो साफ तौर पर अस्वीकार्य हैं। उन्होंने कहा कि भारत की आकांक्षा आठ से नौ 8-9 प्रतिशत की वृद्धि दर है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री का कहना था कि जीडीपी की दर का पहली तिमाही की 5.1 प्रतिशत जीडीपी से दूसरी तिमाही में 4.5% पर पहुंचना चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि आर्थिक नीतियों में कुछ बदलाव कर देने से देश की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद नहीं मिलेगी।
ज्ञात हो कि शुक्रवार को एनएसओ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में गिरावट और कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले इस साल कमज़ोर प्रदर्शन से वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि की दर 4.5 प्रतिशत रह गई। एक साल पहले 2018-19 की इसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत थी, वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 5 प्रतिशत थी। पूर्व प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार और अन्य संस्थानों में बैठे नीति निर्धारक सच बोलने या बौद्धिक रूप से ईमानदार नीतिगत चर्चा में भाग लेने से डरते हैं. विभिन्न आर्थिक पक्षों में गहरा भय और अविश्वास है।
मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि वे समाज में गहरे तक पैठ बना चुके संदेह को दूर करते हुए अर्थव्यवस्था की मदद करें। उन्होंने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह करूंगा कि समाज में ‘गहराती आशंकाओं’ को दूर करें और देश को फिर से एक सौहार्दपूर्ण तथा आपसी भरोसे वाला समाज बनाएं जिससे अर्थव्यवस्था को तेज करने में मदद मिल सके।
साभार – पार्सटूडे