मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का उनके ही देश में व्यापक विरोध हो जा रहा है बावजूद इसके वे भारत से संबंधों को लेकर बयानबाजी बंद नहीं कर रहे हैं। अब उन्होंने कहा है कि जल्द ही मालदीव में कोई विदेशी सैन्य उपस्थिति नहीं होगी। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि मालदीव अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में लगा है। जल्द ही हम वहां पहुंच जाएंगे, जब देश में कोई विदेशी सैन्य उपस्थिति नहीं होगी। गौरतलब है कि बीते कुछ सप्ताह पहले मुइज्जू ने भारत से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की मांग की थी। जिसके बाद से दोनों के बीच तनाव जारी है।
बुधवार को, ‘रईस गे जावाबू’ (जनता से रूबरू) कार्यक्रम में मुइज्जू से विदेशी सैन्य सैनिकों को बाहर निकालने के लिए चल रहे प्रयासों के बारे में पूछा गया। इस पर मुइज्जू ने कहा, मैं लोगों को आश्वस्त कर रहा हूं कि मालदीव को उस बिंदु पर ले जाया जाएगा, जहां देश में कोई विदेशी सैन्य टुकड़ी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि देश की मौजूदा सैन्य क्षमताओं को बढ़ाया जाए ताकि मालदीव के लोगों के लिए आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की व्यवस्था हम खुद कर सकें।
मुइज्जू ने इस बयान से एक दिन पहले ही घोषणा की थी कि मालदीव पानी के भीतर सर्वे के लिए अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के अलावा समुद्री, हवाई और स्थलीय क्षेत्रों सहित अपने सभी क्षेत्रों पर स्वायत्त नियंत्रण बनाए रखेगा। वहीं उससे पहले, सोमवार को अपने पहले राष्ट्रपति भाषण में मोइज्जू ने कहा था कि भारतीय सैन्य कर्मियों के पहले समूह को 10 मार्च से पहले मालदीव से वापस भेज दिया जाएगा। राष्ट्रपति ने यह भी कहा था कि मालदीव अपनी सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत सरकार से दान में मिले हेलिकॉप्टरों और डोर्नियर विमानों के संचालन और रखरखाव के लिए वर्तमान में 88 भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में हैं। भारतीय सैन्यकर्मी पिछले कुछ वर्षों से मालदीव के लोगों को मानवीय और चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
भारत के खिलाफ क्यों हैं मालदीव के राष्ट्रपति?
पिछले साल सितंबर में मालदीव में आम चुनाव हुए थे। इस दौरान मुइज्जू की पार्टी ने भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए चुनाव में ‘इंडिया आउट’ अभियान चलाया था। मुइज्जू ने खुद चुनाव में ‘इंडिया आउट’ लिखी टी शर्ट पहन कर चुनाव प्रचार किया था। उनका चुनावी वादा था कि अगर चुनाव में जीते तो भारतीय सैनिकों को मालदीव छोड़कर जाने को कहा जाएगा। चीन समर्थक मुइज्जू ने राष्ट्रपति का पदभार संभालने के दूसरे दिन ही आधिकारिक तौर पर भारत सरकार से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का अनुरोध किया।
इसके बाद लक्षद्वीप के मुद्दे पर भी भारत और मालदीव के रिश्तों में तनाव देखने को मिला था। मालदीव के सांसदों ने ही अपनी सरकार के भारत विरोधी रुख की आलोचना की थी। भारत समर्थक एमडीपी ने कहा था कि मुइज्जू की विदेश नीति से देश के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। विपक्ष चाहता है कि सरकार सभी देशों के साथ मिलकर काम करे, जिससे मालदीव के लोगों को फायदा मिले।
वहीं हालिया चीन दौरे के बाद मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के तेवर और भी सख्त दिखे। उन्होंने भारत का नाम लिए बिना कहा था, ‘मालदीव किसी खास देश का आंगन नहीं है और कोई भी उसे धमका नहीं सकता है। भारत से घटिया गुणवत्ता की दवाओं के बजाय यूरोप और अमेरिका से दवाएं मंगाएंगे।’ उनके इन बयानों पर विपक्षी नेताओं ने जोरदार हमला बोला था।