पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कुछ समय के लिए विश्राम ले लिया है। इसके साथ ही उन्होंने सन्यास लेने का भी संकेत दिया। साफ किया कि भारत जोड़ो यात्रा के एक महीने बाद वे स्थानीय और राष्ट्रीय परिस्थितियों का विवेचन कर अपना कर्म क्षेत्र और कार्यप्रणाली का निर्धारण करेंगे।
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प्रदेश कांग्रेस पर भी उठाए सवाल
हरीश रावत ने प्रदेश कांग्रेस पर भी सवाल उठाए। कहा कि उत्तराखंड कांग्रेस अभी नहीं लगता है कि अपने को बदलेगी। ऐसे में अब व्यक्ति को ही अपने को बदलना चाहिए। कहा कि उन्होंने चुनाव में हार के बाद भी बड़ी मेहनत की। आला कमान पर भी इशारों में इशारों में कटाक्ष करते हुए कहा कि कोई भी अस्त्र या कवच आधे अधूरे प्रयासों से निर्णायक असर पैदा नहीं करता है।
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मैं पार्टी को इस अस्त्र के साथ खड़ा नहीं कर पाया। यह मेरी विफलता थी। उत्तराखंडियत को लेकर पार्टी से एकजुटता के बजाए दूसरा संदेश गया। इसके चलते कांग्रेस जीतते जीतते हार गई।
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सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, मोदी के व्यक्तित्व से जीती भाजपा
2017 में पार्टी की चुनावी हार पर कहा कि चुनाव के पहले कांग्रेस पार्टी से बड़ा दल-बदल भी भाजपा को सत्ता में नहीं ला सकता था। भाजपा को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, मोदी के व्यक्तित्व, पुलवामा और बालाकोट से उत्पन्न प्रचंड आंधी, यूपी में समाज को हिंदू मुसलमान के रूप में बंटने का अधिक लाभ मिला।