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राहुल गांधी ने जनधन विरोधी नोट बंदी के चौथी वर्षगांठ पर कहा कि ये चंद पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिये जान बूझकर कर लिया फैसला

-रवि जी. निगम

सामाजिक कार्यकर्ता – संपादक

आज देश के हृदय बिदारक जन विरोधी फैसले का चौथा वर्ष है आज के दिन ही ऐसा फैसला किया गया था जिसने देश के गरीबों और छोटे व्यापारियों की आर्थिक कमर ही तोड दी थी वो दिन है और आज का दिन देश उसकी मार से अभी तक उभर नहीं सका, इतना ही नहीं इस फैसले ने देश की गरीब जनता को तो लाइन पर लगा दिया था, वहीं पूंजीपतियों को अपना काला धन सफेद करने का बेहतरीन मौका दिया था, जबकि गरीब तो लाइन में लगा लेकिन पूंजीपति कहीं दूर-दूर तक नहीं दिखा, गरीब भूख से और लाइन में खडे होकर दम तोडते दिखे लेकिन पूंजीपतियों को घर बैठे सारी सुविधा मिली, श्रमिक उत्थान ने उस दौरान भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की लेकिन उसका क्या हुआ आज तक ज्ञात नहीं हो सका क्योंकि उसका कोई रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है, ये है हमारी सरकार की उपलब्धि।

नयी दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोट बंदी लागू करने का फैसला जानबूझ के लिया था और इसके जरिये उनका मकसद अपने चंद पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाना था।

बताया राष्ट्रीय त्रासदी
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार साल पहले आज के ही दिन की गई नोटबंदी की घोषणा को राष्ट्रीय त्रासदी बताया और कहा कि इसके माध्यम से उन्होंने चंद पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने का काम किया और पूरे देश को गहरे संकट में डाल दिया था।

राहुल का ट्वीट
उन्होंने ट्वीट किया “नोटबंदी प्रधानमंत्री की सोची समझी चाल थी ताकि आम जनता के पैसे से ‘मोदी-मित्र’ पूँजीपतियों का लाखों करोड़ रुपय क़र्ज़ माफ़ किया जा सके। ग़लतफ़हमी में मत रहिए- ग़लती हुई नहीं, जानबूझकर की गयी थी। इस राष्ट्रीय त्रासदी के चार साल पर आप भी अपनी आवाज़ बुलंद कीजिए।”

विश्वासघात दिवस
गौरतलब है कि नोटबंदी के चार साल पूरे होने के मौके पर कांग्रेस आज मोदी सरकार के खिलाफ देशभर में विश्वासघात दिवस मना रही है और इसके लिए डिजिटल अभियान चला रही है।

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