संपादक – रवि जी. निगम
मुम्बई (महाराष्ट्र) – महाराष्ट्र में सरकार को लेकर अनिश्चितता का माहौल खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा, अभी भी उहापोह की स्थिति कायम, सरकार गठन को लेकर एनसीपी और कांग्रेस के शीर्ष नेतृृत्व के मध्य मंथन का दौर जारी, सायद एनसीपी और कांग्रेस, शिवसेना के साथ अपने सभी नफ़े – नुक्सान पर गौर करना चाह रहे हैं पूरी तरह से जांच परख कर ही निर्णय लेने के पक्ष में हैं एनसीपी और कांग्रेस, वो ये नही चाहते हैं कि जल्दबाजी में सरकार गठन पर अपनी सहमति जता दी जाय जिसका भविष्य में बीजेपी हथियार के रूप में इनके विरुद्ध इस्तेमाल कर सके, वो महाराष्ट्र के राजनीति की उन गति विधियों पर नजर बनाये हुुये है जो घटना चक्र राष्ट्रपति शासन लगने के पश्चात घटित हो रहे हैं, जिस प्रकार सिंगल लॉर्जेस्ट पार्टी बीजेपी जिसने सरकार गठन से हाथ खड़े कर लिये थे वो पुनः ११९ सीटों के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही है उसे एनसीपी और कांग्रेस पूरा मौक देने के पक्ष में सायद दिखाई दे रहे हैं क्योंकि इसी बीच आरपीआई नेता रामदास आठवले की इन्ट्री इस फॉर्मुले के साथ हुई कि वो महाराष्ट्र में शिवसेना को बीजेपी के साथ सरकार गठन के पक्ष में हैं वो चाहते हैं कि दो साल शिवसेना का तीन साल बीजेपी का मुख्ययमंत्री हो यानि ६०-४० के फॉर्मूले के आधार पर सहमति के साथ सरकार गठन हो जिस पर शिवसेना नेता संजय राऊत ने भी अपनी सहमति व्यक्त की थी साथ ही सावरकर को लेकर शिवसेना का स्टैैण्ड उसे असमंजस की स्थिति में वापस खड़ा कर देता है कि कहीं ऐसा न हो की ‘माया मिली न राम’ जैसी उसकी स्थिति हो जाये क्योंंकि उसे लगता है कि शिवसेना अभी भी दो नावों की सवारी कर रही है, फिलहाल अभी भी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार के गठन में और वक्त लग सकता है, क्योंकि ‘दूध का जला मठ्ठा फूंक-फूंक कर पीता है’ एनसीपी और कांग्रेस सायद शीतकालीन सत्र में शिवसेना के रूख को चेक करना चाहती है कि इस सत्र के दरम्यांन उसका रुख क्या रहता है अर्थात ये मान लें कि सरकार गठन पर सत्र के दोरान कोई फैसला आ पना असंभव सा ही दिखाई दे रहा है कोई भी फैसला होगा तो वो सत्र खत्म होने के पश्चात ही होना संभव लगता है क्योंकि इतना वक्त देना बीजेपी के दावे को कमजोर ही नहीं करता है बल्कि एनसीपी और कांग्रेस का विकल्प की सरकार देेने का पक्ष जनता के समक्ष उसके दावे को मजबूती प्रदान करेगा ऐसा उनका मानना हो सकता है । जबकि शिवसेना ने एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया है और मुख्यमंत्री पद पर ये भी लगभग स्पष्ट कर दिया है कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में ही सरकार का गठन होगा, अतः ये माना जा सकता है कि फिलहाल सरकार गठन सत्र खत्म के पश्चात ही संभव है, हाँ ये मान कर चलिये कि दिवाली बीजेपी ने चुनाव जीत कर मनायी तो शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस सरकार गठन करके नये साल की शुभकामनाओं के साथ मनायेेगी।
फिलहाल वर्तमान में
एनसीपी और कांग्रेस के बीच होने वाली बुधवार की बैठक से पूर्व शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि दिसंबर से पहले ही बन जाएगी उनकी सरकार। उन्होंने कहा है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन जारी है, ऐसे में कुछ कानूनी पेच होते हैं। जब हम राज्यपाल के पास नंबर लेकर जाएंगे तो वे हमें सरकार बनाने का न्योता अवश्य देंगे।
संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी सरकार नहीं बना पा रही है तो यह जिम्मेदारी अन्य दलों पर आती है। लोग चाहते हैं कि जल्द से जल्द सरकार बने। वहीं, पीएम मोदी से शरद पवार की होने वाली मुलाकात को लेकर राउत ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री हैं। महाराष्ट्र में किसानों को लेकर समस्या है। उद्धव ठाकरे और शरद पवार किसानों को लेकर सोचते हैं। हमने शरद पवार से जाकर आग्रह किया था कि राज्य में किसानों की स्थिति को लेकर जो हालत है कि उसके बारे में प्रधानमंत्री को ब्रीफ करें।