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Thursday, May 9, 2024

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संपादक की कलम से – राजनीति के पुरोधा अटल जी को चंद लाइन से भावभीनि श्रद्धांजलि व श्रद्घा सुमन अरपित । —- रवि जी. निगम

अटल सत्य ….

क्या कहूँ , क्या न कहूँ ,

कुछ बूझ नहीं रहा है मन को ।

कैसे दिल को यकीन दिलाऊँ ,

‘अटल’ छोड़ चले हैं वतन को ॥

वो ‘अटल’ अमर अविनासी ,

जो थे रोम – रोम के थे वासी ।

वो ‘आजात शत्रु’ दुनियाँ का ,

मौन कर गया ‘अटल वाणी’ को ॥

वो रत्न खो गया मेरा ,

सदैव ‘अमर अटल’ रहेगा चेहरा ।

वो ‘पत्रकार’ ‘कवि’ साहित्य को ,

खामोश कर गये ‘अटल’ कलम को ॥

वो बढ़ाने आकाश गंग की शोभा ,

चिर निद्रा में लीन हो गये है ।

आजादी से लेकर आज तक ,

सदैव बुलंद करते रहे वतन को ॥

कोई अपना न पराया उनका ,

न कोई शत्रु ही उनका था ।

भले पंच तत्व में विलीन हो जायें ,

पर सदैव याद आते रहेंगे वतन को ॥

भले भाव भंगिमाओं की नकल कोई कर ले ,

लाख उनके जैसा बनने की कोशिस कर ले ।

कोई पूर्ति नही कर सकता ,

उनकी ‘अजर’ ‘अटल’ ‘अमिट छवि’ को ॥

– वतन के पुरोधा को मेरा शत् – शत् नमन

– रवि जी. निगम (संपादक – मानवाघिकार अभिव्यक्ति)

‘मानवाधिकार अभिव्यक्ति’ परिवार की ओर से ‘अटल जी’ को भावभीनि श्रद्धांजलि …..

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